बाबा महाकाल की शाही सवारी और परम्परा में उलझा प्रशासन
राहुल शर्मा इंदौर ब्यूरो – उज्जैन कोरोना महामारी के चलते जिला सतर्कता समिति की बैठक में जिला प्रशासन ने परम्परागत भगवान् श्री महाकालेश्वर की सवारी नियमों को ताक में रख कर कर नवीन मार्ग से निकालना तो तय कर दिया लेकिन 17 अगस्त को निकलने वाली शाही सवारी में सिंधिया कुल की परम्परा निभाने के लिए अब “सैंया भए कोतवाल” की कहावत चरितार्थ होने जा रही है …
दरअसल उज्जैन शहर में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरे ज्योतिर्लिंग भगवान् महाकालेश्वर प्राचीन समय से श्रावण और भादौ मॉस में नगर भ्रमण पर निकलते हैं ऐसे में उनके तय मार्ग पर सवारी निकाली जाती है साल 2020 में पुरे विश्व में फैली महामारी के चलते उज्जैन जिला प्रशासन और क्राईसेस मेनेजमेंट ने फैसला लेते हुए सवारी मार्ग के तय मार्ग को छोटा कर बड़ा गणेश मंदिर,हरसिद्धि मंदिर से होते हुए सवारी को राम घात पहुँचाने का आदेश दे दिया जिससे नगर के नागरिक तो खफा नज़र ही आए व्यापारी वर्ग भी खफा था जो पिछली सवारियों में जैसे तैसे मन मसोसकर रह गया लेकिन अब जब बात सिंधिया कुल के पूजन की आई तो लगता है उज्जैन का प्रशासन घुटनों के बल बैठ गया है और “जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का” वाली कहावत को चरितार्थ करने में जुट गया है ।
यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि उज्जैन शहर में हर चौराहे पर सुनाई दे रहा है । सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए सिंधिया कुल के वंशज और भाजपा से राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनके कुल की परम्परा के मुताबिक़ गोपाल मंदिर से ही शाही सवारी का पूजन करने की इच्छा जाहिर की है जिसके बाद प्रशासन बेकफुट पर आ गया है । यही नहीं जिले के सभी भाजपा विधायक इस मुद्दे को भुनाने में लग गए हैं । सभी का दबे मुंह यही कहना है कि प्रशासन सिंधिया परिवार के पूजन के लिए सवारी को एक नए मार्ग से लेकर गोपाल मंदिर पहुंचेगा जहाँ ज्योतिरादित्य सिंधिया सवारी का पूजन करेंगे । बाकायदा प्रशासन ने इसके लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है । इस खबर पर मुहर लगाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया का 17 अगस्त को इंदौर और उज्जैन दौरे पर आने का प्रेस नोट यह बताता है कि पूजन गोपाल मंदिर से ही किया जाएगा ।
यह हो सकता है शाही सवारी मार्ग –
मिली जानकारी के मुताबिक़ शाही सवारी अपनी परम्पराओं का निर्वाह करते हुए महाकाल मंदिर से प्रस्थान कर बड़ा गणेश मंदिर हरसिद्धि होते हुए राम घाट पर क्षिप्रा नदी का पूजन कर रामानुजकोट से दानी दरवाजा कार्तिक चौक खाती मंदिर ढाबा रोड होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी जहाँ सिंधिया वंश की और से सवारी का पूजन अर्चन किया जाकर सवारी पटनी बाज़ार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी। कुछ भी हो राजनीति के अखाड़े में गहरी पैठ रखने वाले एक शाही परिवार के कारण भले ही सवारी मार्ग का परिवर्तन करने के लिए प्रशासन को झुकना पड़े लेकिन कहीं न कहीं जिले के दुकानदार और मजदुर वर्ग को एक दिन के लिए ही सही कुछ तो आमदनी होने के आसार नजर आते हैं ।