आशीष रावत…..मंगलवार को चंद्रग्रहण समाप्त होते ही भारी संख्या में लोग नर्मदा घाट पर पहुंचे, उन्होने घाट पर स्नान भी की।इसके पूर्व दीपावली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण पड़ा था। संयोग से सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण भी मंगलवार के दिन पड़ा है…..
वर्ष के आखिरी चंद्र ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सुबह सूतक लगने से पूर्व 8 बजे तक स्नान होते रहे। चंद्र ग्रहण के मोक्षकाल के समापन होने के बाद शाम के समय नर्मदा तट के घाटों पर स्नान करने वालों की भीड़ रही। हिन्दू धर्म के अनुसार ग्रहण के सूतक लगने और ग्रहण के समापन होने पर स्नान किए जाते हैं। शाम को सूर्यास्त होने के बाद भी अनेक लोग स्नान करने के लिए पहुंचे। ग्रहण समाप्ति के बाद चली आ रही परंपरा के अनुसार ग्रहण के समय काल तक पूजा पाठ खाना पीना सभी वर्जित रहता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद श्रद्धालुओं ने नर्मदा तट पर पहुंच कर डुबकी लगाई। तदोपरांत पूजा पाठ करने के बाद ही घरों में चूल्हा जलता है।
श्रद्धालुओं ने नर्मदा तट के सांडिया में सीताराम घाट, पुल घाट नर्मदापुरम में विवेकानंद घाट, कोरी घाट, सेठानी घाट सहित अन्य नर्मदा तट के घाटों पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई और गरीबों को अनाज दान किया साथ ही घाटों पर भोजन बना कर प्रसाद ग्रहण किया। सबसे ज्यादा भीड़ घाट पर रही। ग्रामीण क्षेत्रों से भी अनेक श्रद्धालु स्नान के लिए आए। हर पूर्णिमा को सुबह श्रद्धालुओं का तांता लगता है। लेकिन इस बार ग्रहण के कारण शाम को ज्यादा श्रद्धालु आए। शाम को मंदिरों के पट खोले गए: शहर के सभी मंदिरों के पट सूतक काल लगने बाद से बंद कर दिए गए थे। शाम को ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिरों के पट खोले गए। साफ सफाई व गंगाजल छिड़काव के बाद पूजा अर्चना व आरती की गई। जहां श्रद्धालु भी स्नान के बाद मंदिरों में पूजन व जल चढ़ाने पहुंचते रहे।
नर्मदा घाट पर महिलाओं को वस्त्र बदलने में हुई परेशानी….
प्राचीन नर्मदा घाटों पर तीज-त्योहार पर दूर-दूर से श्रद्धालु व नर्मदा भक्त पहुंचते हैं। घाटों पर लंबे समय से महिलाओं के लिए वस्त्र परिवर्तन कक्ष की सुविधा नहीं होने से परेशानी झेलनी पड़ी। ग्राम पंचायत व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते महिलाओं को पर्दा लगाकर वस्त्र बदलना पड़े।