राहुल शर्मा इंदौर ब्यूरो…. इंदौर में सात साल पहले हुए डीपीसी बस हादसे को लेकर लगाई गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सख्त फैसला सुनाया कोर्ट ने इसके लिए गाइडलाइन भी बनाई जिसमें बसों में जीपीएस सिस्टम सहित सीसीटीवी कैमरा लगाने के भी निर्देश हैं…
प्रदेश में स्कूल बसों के हादसों को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने अहम फैसला सुनाया है । बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सरकार से स्कूल बसों के संचालन के लिए विशेष गाइडलाइन जारी करने की बात कही है । इसके तहत स्कूल बसों के रजिस्ट्रेशन, प्रबंधन और संचालन से जुड़े नियमों को एमपी मोटर व्हीकल एक्ट 1994 में शामिल किया जाएगा । कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में 12 साल से पुरानी बसों का संचालन नहीं होगा। इसके अलावा बसों में स्पीड गवर्नर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य होंगे, ताकि बसों को ट्रैक किया जा सके ।
इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि हर बस में एक शिक्षक को तैनात किया जाए, जो आखिरी स्टॉप तक बस में मौजूद रहे। वहीं अगर छात्रों को ऑटो रिक्शा के जरिए लाया जाता है तो उसमें चार से ज्यादा लोग नहीं बैठ सकेंगे। इसके साथ ही RTO और पुलिस अधिकारियों को इन गाइडलाइनों का पालन सख्ती से सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। इन निर्देशों का उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखना है और स्कूल बसों में सुधार लाना भी है।
यह गाइडलाइन बनाई कोर्ट ने….
स्कूल बस को पीले रंग से रंगा जाएगा और वाहन के आगे और पीछे स्कूल बस या आन स्कूल ड्यूटी लिखवाना होगा। स्कूल बस के बाहर दोनों तरफ स्कूल के
वाहन प्रभारी का नाम, पता एवं टेलीफोन, मोबाइल नंबर लिखा होगा।
स्कूल बसों की खिड़कियों पर शीशों पर रंगीन फिल्म नहीं लगेंगी।
प्रत्येक स्कूल बस में फर्स्ट एड बाक्स और अग्निशमन यंत्र होगा।
प्रत्येक स्कूल बस में आपात स्थिति से निपटने में प्रशिक्षित एक परिचारक होगा।
ड्राइवर के पास स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस और पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए। ऐसे ड्राइवर जिन्होंने एक वर्ष में दो से ज्यादा बार सिग्नल जंप किया है, वे स्कूल बस नहीं चला सकेंगे। जिस व्यक्ति का तेज गति से या शराब पीकर गाड़ी चलाने का एक बार भी चालान बना है वह भी स्कूल बस नहीं चला सकेगा। स्कूल प्रबंधन इस संबंध में ड्राइवर से शपथ पत्र लेगा।
प्रत्येक स्कूल बस में सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की जगह होगी।
प्रत्येक बस में स्पीड गवर्नर लगा होगा।
स्कूल बस में दाहिनी ओर एक आपातकालीन दरवाजा और गुणवत्ता वाला लाकिंग सिस्टम होगा।
प्रेशर हार्न नहीं लगाया जाएगा। रात में स्कूल बसों के अंदर नीले बल्ब लगाना होंगे।
कोई भी स्कूल बस 12 वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होगी।
छात्रों को लाने-ले जाने में लगे आटो में चालक सहित चार से अधिक व्यक्ति नहीं बैठ सकते हैं।
प्रत्येक स्कूल बस में एक जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और एक सीसीटीवी कैमरा होगा। अभिभावक वाहन को मोबाइल एप के माध्यम से ट्रैक और देख सकेंगे।