चाईना नहीं मेरे हाथ की राखी सजेगी भाई की कलाई पर
विजय श्रीवास्तव दमोह ब्यूरो – आत्मनिर्भर भारत की झलक दमोह में देखने को मिलती है , यहां राखी के पवित्र त्यौहार पर मासूम बेटियों ने चाइना की राखियों का बहिस्कार करते हुए अपने भाइयो के लिए खुद ही बनाई है राखियां …
दमोह बीते साल इन्हीं दिनों किसी ने भी नहीं सोचा था कि रक्षाबंधन के त्यौहार को भी पूरी तरह से कैप्चर कर चुका चीन अगले साल अपने बुरे कृत्य के कारण पूरी तरह से पूरे विश्व में अपना मार्केट खो देगा । चीन की एक गलती ने न केवल लोगों को आत्मनिर्भर बना दिया वहीं भारत की बेटियां अब अपने भाइयों की कलाइयों पर चाइना की राखियों को नहीं बांधना चाहती । बल्कि वह अपने हाथों से बनाई राखियां बांधकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संदेश दे रही हैं। दमोह शहर के फुटेरा वार्ड नंबर 2 में रहने वाली स्वस्ति और समृद्धि अग्रवाल नाम की दो बहनों ने प्रधानमंत्री के अभियान आत्मनिर्भर को साकार कर दिया है । दरअसल इन दोनों बहनों ने छोटी सी उम्र में ही बायकॉट चाइना का मूल मंत्र सिखाते हुए बाजार से चाईना की राखी ना खरीदकर खुद ही राखियों का निर्माण कर लिया । साथ ही अपने भाइयों की कलाइयों पर अपने हाथों से बनी राखियों को बांधने का संकल्प भी लिया । यह बहने बीते कुछ दिनों से अपने घर पर अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधने के लिए तैयारी कर रही है । छोटी सी उम्र में ही इन दोनों बहनों का कहना है कि वे लोग चाइना को सबक सिखाना चाहती है । यही कारण है कि उन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार के लिए स्वयं ही राखियां बनाकर लोगों के बीच आत्मनिर्भर भारत का संदेश दिया है। इन दोनों बहनों का कहना है कि भाई-बहन के पवित्र बंधन का यह पर्व अब चाइना पर निर्भर नहीं रहेगा बल्कि आत्म निर्भर भारत अभियान का हिस्सा बनकर लोगों को अपने देश के लिए कुछ करने का संदेश जरूर देगा । इन छोटी बहनों ने बनाई राखियां अन्य बहनों को बांटी जो अपने अपने भाईयों की कलाई पर बांधकर देश की रक्षा का वचन तो लेगीं ही साथ में आत्मनिर्भर का पाठ भी पढायेंगी ।