आशीष रावत …..पिपरिया कांग्रेस ने तहसीलदार पिपरिया कोर्ट में एक आवेदन सौंपकर उस प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कराई है जिसमे पचमढ़ी की कीमती भूमि हाई कोर्ट की सक्षम अनुमति के बिना तहसीलदार न्यायालय और मप्र शासन के द्वारा भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति न्यास गोविंदनगर को स्थायी पट्टा के रूप में देने की तैयारी की जा रही है।कांग्रेस ने न्यायालय से इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
कांग्रेस की ओर से पिपरिया विधानसभा प्रभारी तथा पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी अधिवक्ता हरीश कुमार बेमन ने तहसीलदार पिपरिया को लिखित आवेदन में उपरोक्त प्रक्रिया पर कांग्रेस की ओर से आपत्ति दर्ज कराई है।इस सम्बन्ध में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दिलीप पालीवाल,कांग्रेस नेता हेमराज पटेल, अटलबिहरी पटेल, ऋषि नटराजन,मयंक दीक्षित,सचिन शर्मा आदि के हस्ताक्षर से सौंपे गए आवेदन में कहा गया है कि मौजा पचमढ़ी,तहसील पिपरिया जिला-नर्मदापुरम, म.प्र. में स्थित नजूल भूमि, शीट क्र.-15, खसरा नंबर 1-9, रकबा 1,36889 वर्गमी टर एवं शीट क्र.-3,ख.नं.1से9 एवं रकवा 3,11376 वर्गमीटर भूमि जोकि नजूल रिकार्ड में शासन के नाम से दर्ज है।उक्त भूमि को स्थाई नजूल पट्टे पर प्राप्त करने आवेदक भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति लोकन्यास गोविंद नगर बनखेड़ी के द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया हैं।जिसकी सूचना समाचार पत्र में प्रकाशित उद्घोषणा 0002/अ 2012/2022-2023 मौजा-पचमढ़ी नजूल के माध्यम से प्राप्त हुई है।यह कि पचमढ़ी परिक्षेत्र की सभी भूमियों के क्रय-विक्रय या किसी भी प्रकार के अंतरण पर पूर्व वर्षों से ही माननीय उच्च न्यायालय और माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा रोक लगा रखी है।तब ऐसी स्थिति में म.प्र.शासन द्वारा उक्त आदेश की अवहेलना करते हुए उक्त प्रश्नाधीन भूमियों को किसी को भी आवंटित किया जाना विधि विरुद्ध होकर न्यायोचित नहीं है।
कांग्रेस नेताओं ने आवेदन में बताया है कि पचमढ़ी में शासकीय भूमि नहीं है। हाल ही में माननीय हाई कोर्ट और माननीय सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर पचमढ़ी में वर्षों से रह रहे वहां के लोगों को पट्टा देने के बजाए उन्हें हटाकर अन्य जगह विस्थापित किया गया है। जब उन गरीबों को राहत नहीं दी गई है तो ऐसे में भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति लोक न्यास गोविंदनगर बनखेड़ी को भूमि का पट्टा दिया जाना औचित्यपूर्ण नहीं है।
कांग्रेस जनों और क्षेत्रवासियों ने उनके आपत्ति आवेदन को स्वीकार करने के साथ ही उपरोक्त पट्टा आवेदन प्रक्रिया को रोकने और पट्टा आवेदन को निरस्त करते हुए जनहित में न्याय प्रदान करने की मांग की है।