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नीलेंद्र मिश्रा भोपाल ब्यूरो – भाजपा शासन में सहकारिता में हुये घोटालों को दबाने चल रहे प्रयास , मंत्री ने दिये जांच के आदेश … 
सहकारिता के पूर्व एमडी के समय हुआ करोड़ो का गोलमाल पुनः एमडी बनाने चल रही फाईल
मप्र में वर्ष 2007 में तत्कालीन भाजपा सरकार के समय कृषक ऋण माफी /राहत योजना में करोड़ों का ऋण माफी घोटाला हुआ था जिसको लेकर मप्र षासन द्वारा ष्वेत पत्र भी जारी किया गया था । इस ऋण माफी में 2 सौ करोड़ से अधिक की आर्थिक वित्तीय अनियमित्ता उजागर होने के बाद भी दोषेी अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रबाई नहीं हो सकी । सहकारिता की इस गड़बड़ी का खुलासा भारत सरकार की सीऐजी रिपोर्ट में भी हुआ लेकिन महज औपचारिकता कर ऋण माफी घोटाले को दबा दिया गया । इतना ही नहीं मप्र की कई जिला सहकारी बैंकों में सर्वाधिक गोलमाल वर्ष 2014 से 2017 के मध्य हुआ जिसके चलते तत्कालीन एमडी को भी पद से हटाया गया और घोटालों को दबाया गया । अब एकबार फिर उसी दागी अधिकारी को एपेक्स बैंक की कमान सौंपने की तैयारी चल रही है । मजेदार बात यह है कि जिस कार्यकाल में सर्वाधिक गोलमाल हुआ उस समय सहकारिता के पीएस रहे अधिकारी पुन‘ सहकारिता के पीएस बनाये गये हैं जिससे यह समझ पाना कठिन है कि घोटालों को उजागर करने और दोषी अधिकारियों पर कार्रबाई की जाना है या फिर घोटालों को उजागर कर दोषी को सजा दिलाना है । हांलाकि वर्तमान कांग्रेस सरकार के सहकारिता मंत्री खुद कह चुके हैं कि सहकारता में घोटाले करने बालों की खैर नहीं और इसी को लेकर उन्होंने पीएस सहकारिता को नोटषीट भी लिखी है ।
कांग्रेस के ऋण माफी की आढ़ में पुराने घोटालों पर सजग रहें अधिकारी
सहकारिता मंत्री डा. गोविंदसिंह ने तीन दिन पूर्व एपेक्स बैंक भोपाल में प्रदेष की 38 जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधकों एवं विभागीय अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये सहकारिता में भष्टाचार करने बाले अधिकारियों को चैताया था कि किसी भी तरह का घोटाला या गड़बड़ी पर कार्रबाई के लिए तैयार रहें । सहकारिता मंत्री इस ब्यान के बाद उम्मीद जगी कि सहकारिता में घोटाले करने बालों की अब खैर नहीं, पंरंतु उसी दिन षाम को एपेक्स बैंक के पूर्व एमडी प्रदीप नीखरा की पुनः एपेक्स के एमडी बनने की फाईल पर सहमति दी गई उल्लेखनीय है कि प्रदीप नीखरा के एपेक्स बैंक के एमडी रहते समय होषंगाबाद में 8 करोड़ से अधिक का घोटाला हो या फिर रीवा के डबोरा ब्रांच में 20 करोड़ का घोटाला किसी से छिपा नहीं हैं अब यह समझ से परे हैं कि मंत्री जी को क्या इन घोटालों की जानकारी नहीं है या फिर घोटालों को दबाने के लिए ही पुनः प्रदीप नीखरा को एमडी बनाया जा रहा है । इधर सहकारिता मंत्री ने विभाग के पीएस से वर्ष 2007 में तत्कालीन भाजपा सरकार के समय कृषक ऋण माफी /राहत योजना में करोड़ों का ऋण माफी घोटाला हुआ था जिसको लेकर मप्र षासन द्वारा ष्वेत पत्र भी जारी किया गया था । इस ऋण माफी में 2 सौ करोड़ से अधिक की आर्थिक वित्तीय अनियमित्ता उजागर होने के बाद भी दोषेी अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रबाई नहीं हो सकी । सहकारिता की इस गड़बड़ी का खुलासा भारत सरकार की सीऐजी रिपोर्ट में भी हुआ लेकिन महज औपचारिकता कर ऋण माफी घोटाले को दबा दिया गया । सहकारिता मंत्री ने पीएस से तत्कालीन अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ी पर विस्तृत जानकारी मांगी है । वहीं कई जिलों में ऋण माफी की आढ़ में वर्ष 2007 से पूर्व के कई ऋण प्रकरणों को इस में षामिल करने की जानकारी सामने आने पर सावधानी बरतने को कहा है । उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की ऋणमाफी योजना में 1 अप्रेल 2007 से 31 मार्च 2018 तक के फसल ऋण अल्पकालीन एवं मध्यकालीन ऋण के 32 लाख किसानों को लाभ दिया जाना है । सहकारिता डा. गोविंदसिंह ने सहकारिता पीएस अजीत केसरी को इस बात की नजर रखने के निर्देष दिये हैं 1 अप्रेल 2007 से पूर्व के घोटाले के प्रकरण इस योजना में शामिल न हो सके ।
बिना ऋण लिए हो रही ऋण माफी
सहकारिता मंत्री ने प्रदेष की कई समितियों में हुये फर्जी ऋण जिसमें किसानों ने ऋण ही नहीं लिया और उनके ऋणमाफी सूची में नामों की बारीकी से जांच कराने के निर्देश दिये हैं । वहीं होशंगाबाद एवं हरदा जिले की एपैक्स समिति खेड़ा एवं नीमगांव के समस्त हितग्राहियों का जांच के निर्देष दिये हैं ।
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