पिपरिया में नकली आइसक्रीम का धंदा शुरू
आशीष रावत पिपरिया ब्यूरो – गर्मी आते ही शहर के कई वार्डों में नकली आइसक्रीम फैक्ट्रियां शुरू हो जाती हैं वहीं स्थानीय प्रशासन को ये तक नहीं मालूम कि शहर के कितने वार्डों में ऐसी संचालित हैं फैक्ट्रियां  …
पिपरिया – गर्मी के आते ही शहर में मेड इन पिपरिया आसक्रीम की फैक्ट्रियां शुरू हो जाती हैं। एक तरफ जहाँ मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार प्रदेश भर में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाकर मिलावट खोरों के खिलाफ कार्यवाही कर रही है वहीं पिपरिया शहर के कई वार्डों में आइसक्रीम बनाने की फैक्ट्रियां बेधड़क चल रही हैं। शहर में संचालित इन फैक्ट्रियों में शुद्धता तो दूर की बात है शासन के मानकों तक का पालन नहीं होता है। गंदे पानी गंदे बर्तनों में आइसक्रीम बनाई जाने का सिलसिला इन फैक्ट्रियों में कई सालों से जारी है। इस तरह की आइसक्रीम फैक्ट्रियों के पास कोई भी किसी भी तरह का लायसेंस नहीं है। घरों के अंदर इन फैक्ट्रियों का संचालन कई सालो से चल रहा है पर स्थानीय प्रशासन को भनक तक नहीं है। हैरत की बात तो ये है कि इन फैक्ट्रियों में घरेलू विधुत कनेक्शन लगे है जिनका उपयोग व्यवसायिक रूप से लाइन मेनो की मेहरबानियों से चल रहा है । सबसे बड़ी बात तो ये है की इन फैक्ट्रियों के शहर भर में कई ठेले गली गली घूमते हैं पर खाद्य विभाग को ये नहीं दिखते । इन आइसक्रीम में न तो कोई एक्सपायरी डेट होती है न ही ये कभी खराब होती हैं । शहर के वार्डों में इन ठेलों को घूमते बड़ी आसानी से देखाआ जा सकता है। गर्मी के मौसम में छोटे छोटे मासूम बच्चे से लेकर बड़ों तक इनका लुत्फ़ लेते देखा जा सकते है। वहीं इन दूषित आईस्क्रीमो से लोगों के साथ मासूम बच्चों के बीमार होने के खतरे बढ़ जाते हैं।
क्या कहते हैं चिकित्सक
दूषित खाध सामग्री से बीमार होने के मामले बढ़ जाते है। यदि किसी वस्तु पर उसकी मेनुफेक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट न हो तो अपने बच्चों को न खिलाएं। ए के अग्रवाल बी एम् ओ पिपरिया