निर्वाचन आयोग में फ्रंट ने लगाई याचिका

संजय दुबे – फ्रंट ने निर्वाचन आयोग में याचिका प्रस्तुत की , बंद करो मतदान का बटन वैकल्पिक रूप से मतदाताओं को उपलब्ध कराया जाए …

रायसेन – एंटी हॉर्स ट्रेडिंग फ्रंट के राष्ट्रीय संयोजक हरीश मिश्र ने भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष पीड़ित पक्षकार ” हम भारत के लोग ” की तरफ से एक याचिका दायर कर आयोग से अपील की है कि मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में 22 सीटों पर जहां पर इस्तीफा देकर विधायकों ने अनावश्यक उपचुनाव थोपे हैं । उन क्षेत्रों में “नोटा” की तरह ” बंद करो मतदान ” का बटन भी वैकल्पिक रूप से मतदाताओं को उपलब्ध कराया जाए। निर्वाचन आयोग ने पीड़ित पक्ष की याचिका सुनवाई हेतु स्वीकार की है ।

मिश्र ने आयोग के समक्ष याचिका में विधि अनुसार तथ्य रखे हैं कि संविधान में सबसे पहले, संविधान निर्माताओं ने लिखा है__” हम भारत के लोग ” इन शब्दों में संविधान के निर्माताओं ने यह बात एक दम साफ कर दी कि प्रभुता अंततः जनता में निहित है । सरकार के पास अथवा सांसदों, विधायकों के पास, जो भी शक्तियां हैं, वे सब जनता के वोट से मिली हैं। प्रभुता का अर्थ होता है, ईश्वरता, स्वामित्व अर्थात् प्रभुत्व । संविधान निर्माताओं ने ” हम भारत के लोग ” को “ईश्वर” के समकक्ष दर्जा दिया । किंतु दुर्भाग्य से जनता ( ईश्वर ) ने अपने प्राधिकार ( पॉवर/अथॉरिटी ) जिन सांसदों, विधायकों को प्रदत्त कर संवैधानिक शक्ति प्रदान की, उन सांसदों विधायकों ने प्राधिकार ( पॉवर/अथॉरिटी ) का दुरुपयोग कर लोभ लालच, छल कपट प्रारंभ कर दिया । जिसका सबसे दु:खद उदाहरण म.प्र. विधानसभा में 22 विधायकों ने सामूहिक इस्तीफा देकर जनता द्वारा प्रदान प्रभुता के मत अथवा दान का दुरुपयोग कर उपचुनाव थोप दिए ।

इसलिए हम भारत के लोकतांत्रिक रुप से पीड़ित पक्षकार लोगों ने एंटी हॉर्स ट्रेडिंग फ्रंट गठित कर जनता की प्रभुता वापसी के लिए वैचारिक व्यवस्था परिवर्तन का आंदोलन ( सांसदों विधायकों की खरीद-फरोख्त बंद हो के विरुद्ध ) प्रारंभ किया है।

हम भारत के लोग भारत निर्वाचन आयोग से अपील करते हैं कि सांसदों/विधायकों के अलोकतांत्रिक कदम की पुनरावृति को रोकने के लिए मतदान मशीन में “नोटा” की तरह बंद करो मतदान का बटन ( जहां-जहां विधायकों ने इस्तीफा देकर उपचुनाव थोपा है ) निर्वाचन आयोग उपलब्ध कराए ।

यदि 22 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता , बंद करो मतदान का बटन दबाते हैं तो इसका अर्थ है कि लोकतंत्र में जनता इस अलोकतांत्रिक कृत्य के विरुद्ध है। इस विरोध को सरकार तक पहुंचाने का आयोग माध्यम बनेगा और कानून बनाने के सरकार भारत होगी कि सांसद/विधायक निर्वाचित होने के बाद जनता से बिना पूछे दल बदल नहीं कर सकते ।

आयोग ने याचिका स्वीकार कर पीड़ित पक्ष के पक्ष में निर्णय दिया तो भारत की जनता को प्रभुता प्राप्त होगी और सांसदों/ विधायकों की खरीद-फरोख्त बंद होगी, बार बार के उपचुनाव से मुक्ति प्राप्त होगी।