आशीष रावत पिपरिया ब्यूरो – पिपरिया में इस समय धूल के गुब्बारे मुख्य शहर में दिखाई दे रहे हे । इस धूल के कारण शहर में एलर्जी के मरीज़ बाड़ रहे है …
पिपरिया शहर को इन दिनों धूल की नगरी कहा जा सकता है । मुख्य मार्गो पर धूल के कण राहगीरों और आम लोगो के श्वास के द्वारा शरीर में जा रहे हैं । ये धूल कण लोगो को एलर्जी और दमा रोगी बना रहे है । शहर में पिछले 1 साल में एलर्जी और दमा के मरीजों की संख्या बड़ी हैं । शहर के अस्पतालों में एलर्जी के मरीज बढ रहे हैं । धूल के कारण फंगस और स्किन एलर्जी के मरीज अधिक संख्या में अस्पातल पहुंच रहे हैं । शहर के निजी अस्पतालों में इन दिनों एलर्जी के मरीज ज्यादा देखने को मिल रहे हैं । शहर से नागपुर के स्किन डाक्टरों के यहाँ भी 200 से 300 मरीज जा रहे हैं जिनमे से अधिकांश धूल के एलर्जी बाले मरीज हैं । धूल के कणों में माइक्रोब्स होते हैं जो हमारे आसपास मौजूद रहते हैं । माइक्रोब्स ज्यादा ह्यूमिडिटी में पनपते हैं । इनसे होने वाली एलर्जी में आमतौर पर छींकें, आंख और नाक से पानी बहना जैसी दिक्कत होती है । एक्सपर्ट मानते हैं कि गांवों में रहने वालों के मुकाबले शहरों में रहने वालों में एलर्जी की समस्या ज्यादा पाई जाती है । एक्सपर्ट्स का कहना है कि अस्थमा भी एक तरह की एलर्जी ही है । जैसे ही शरीर एलर्जी वाली चीजों के संपर्क में आता है अस्थमा का अटैक होता है । इसे एलर्जिक अस्थमा कहते हैं । अस्थमा और एलर्जी में एक और कनेक्शन है । अगर किसी को एलर्जिक अस्थमा नहीं है, सिर्फ एलर्जी है तो अस्थमा होने का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है।
चिकित्सकों के मुताबिक शहर में अधिक मात्रा में धूल कण होने के कारण ये एलर्जी हो रही है । ये धूल के कण उडकर नाक और श्वसन तंत्र में प्रवेश कर एलर्जी पैदा करते हैं । शरीर में लाल दाग और फंगस ,दाद , खुजली ,एलर्जी के मरीज काफी संख्या अस्पताल आ रहे हैं ।
पिपरिया शहर में बन रहे ओवर ब्रिज के यहाँ धूलो के गुबारों से होकर गुजरना पड़ता है । शहर के अधिकांश स्कुल की बस और बच्चे इन ही धूल नुमा गुबारों से हो कर गुजरते हे । जनप्रतिनिधि तो अपनी लग्जरी एसी करो से गुजर जाते पर आम लोगो को इस धूल का सामना करना पड़ता है । शहर में बन रहे ओवर ब्रिज का काम काफी समय से रुका पड़ा है जिसके चलते शहर और आस पास के ट्रैफिक के दबाब ज्यादा रहता है । चाहे आम आदमी जनता हो या अधिकारी सब मौन हैं इस तरफ आज तक किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं जाता। वहीं आम आदमी को हो रही परेशानियों से रूबरू होना पढ़ रहा है ।