नर्मदापुरम जिले के पिपरिया में महिला बाल विकास विभाग की लापरवाही सामने आई है। एक नवजात बच्चे की मौत हो जाती है जो कुपोषित पैदा हुआ था। पर पिपरिया महिला बाल विकास की परियोजना अधिकारी को नवजात बच्चे की मौत की जानकारी तक नहीं है …..
प्रदेश सरकार महिला बाल विकास के जरिये कुपोषित बच्चो को पोषण आहार देने के बड़े बड़े वादे करती है। करोड़ो का बजट महिला बाल विकास को गर्भवती महिला और नवजात के विकास के नाम पर सरकार देती है। वही जमीनी हकीकत इससे उलट है । महिला बाल विकास विभाग कुपोषित नवजात का पता लगाने और उन्हें पोषण आहार देकर स्वस्थ्य करने का दम भर्ती है । वही नर्मदापुरम जिले के पिपरिया परियोजना मुख्यालय से महज 50 मीटर दूर एक नवजात बच्चे की मौत हो जाती है जो कुपोषित पैदा हुआ था । महज दो माह में उसकी मौत होने से विभाग पर कई सवाल खड़े होते हैं । नवजात का जन्म 30 जनवरी को सरकारी अस्पताल में हुआ था जहां उसका वजन सामान्य से कम महज 1,85 kg था ।
पिपरिया के राजीव गांधी वार्ड के मजदूर विशाल यादव के घर 30 जनवरी की तारीख को खुशी की लहर दौड़ गई जब उसके घर एक बच्चे ने जन्म लिया था । सिविल अस्पताल में जब नवजात बच्चे का वजन किया गया तब सामान्य से कम 1,85 kg था जो कुपोषित की श्रेणी में आता है । महिला बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की जिम्मेदारी थी कि वार्ड में कुपोषित नवजातों का रिकार्ड रखते हुए प्रसूता ओर बच्चे का ख्याल रखते हुए पोषण आहार देना था। किंतु इस तरफ विभाग ने ध्यान ही नही दिया । घर वालों ने नवजात बच्चे का नाम वेदांश रखा । दो महीने का होते होते 24 मार्च को वेदांश की तबियत बिगड़ी परिजन उसे असपताल ले गए जहां उसे जिला चिकित्सालय रिफर कर दिया गया । रास्ते मे 25 मार्च को जाते समय दो माह के कमजोर बच्चे ने दम तोड़ दिया
जब इस तरह एक कुपोषित नवजात की केयर महिला बाल विकास नही कर पाया तो प्रदेश में क्या हालात होंगे अंदाजा लगाया जा सकता है । महिला बाल विकास विभाग की जबाबदारी होती है कि यदि कोई नवजात बच्चा सामान्य वजन से कम का पैदा होता है तो उस नवजात बच्चे की देखभाल के लिए शासकीय अस्पताल के ( पोषण पुनर्वास केंद्र ) एन आर सी में भर्ती कर मॉनीटरिंग करनी होती है और उस बच्चे की सतत मोनिटरिंग करना होता है । प्रसूता ओर कुपोषित बच्चे के घर जाकर ग्रह भेंट कर फॉलो आप लेना होता है साथ ही पोषण आहार देना होता है । जबकि इस मामले में महिला बाल विकास के रिकार्ड में तक इस बच्चे का आता पता नही है । लापरवाही इस कदर की गई कि दो बच्चे की मौत के दस दिन बाद भी विभाग के पास इसकी जानकारी नही है ।
एक तरफ महिला बाल विकास की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं पिछले महीने मार्च की 19 तारीख से हड़ताल पर हैं वही इनके कामकाज पर भी सवाल खड़े होते हैं।
30 जनवरी को सिविल अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ था । तब उसका वजन 1,85 kg था । इन दो महीने में महिला बाल विकास की कोई भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नही आई घर ।
विशाल यादव नवजात के पिता
जब बेटे का जन्म हुआ था तब बहुत कमजोर था । अस्पताल से बताया गया कि बच्चे का वजन कम है । दो महीने में कोई आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता एक दिन भी नही आई । महिला बाल विकास विभाग से कोई सहायता नही मिली ।
खुशबू नवजात की माँ
दो महीने पहले एक बच्चे की मौत सांडिया सेक्टर में कुपोषण से हुई थी । अभी किसी की मौत नही हुई । राजीव गांधी वार्ड के बच्चे के बारे में पता करती हूं ।
सरिता रघुवंशी प्रभारी परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास विभाग पिपरिया