संजय दुबे – भेड़ाघाट – जबलपुर से महज 25 किलो मीटर दूर स्थित एक विश्व प्रसिद्ध जल प्रपात है , नाम है धुआंधार फाल्स और नाम ऐसा इसलिए क्यूंकि जब बरसात के मौसम में नर्मदा पूरे उफान पर होती है यहाँ पानी की बूँदें इतनी ऊँची उठती हैं की लगता है जैसे धुआं सा फ़ैल गया हो । नर्मदा के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए रोप- वे बनाया गया है ।
भेड़ाघाट में जहाँ ऊँची ऊँची संगमरमर की चट्टानों के बीच से नर्मदा गुजरती है तो दूसरी तरफ वहाँ ‘चौसठ योगिनी‘ का एक मंदिर भी है । हिंदुस्तान में गिने चुने ही चौसठ योगिनी मंदिर हैं, और उनमे भेड़ाघाट का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है । भेड़ाघाट से धुआंधार फाल्स के बीच में बाजार सा है, जो कांगड़ा मंदिर के बाजार की याद दिलाता है ।
भेड़ाघाट की खूबसूरती का जिक्र ओशो ने अपनी किसी किताब में किया था । चांदनी रात में आकाश और संगमरमर की दीवारें एक होकर चमकती हैं, और नर्मदा का गहरा पानी ऐसे जान पड़ता है जैसे बिना धरातल, बिना रोक के बह रहा हो । भेड़ाघाट में पीला संगमरमर है, नीला है, काला है, सफ़ेद है, सब तरफ संगमरमर । चांदनी रात में ये सब चट्टानें हीरे मोतियों कि तरह चमकती हैं । भेड़ाघाट से धुआंधार फाल्स तक भी नाव से जाया जा सकता है,
सूरज की रोशनी इन सफेद और मटमैले रंग के संगमरमर चट्टानों पर पड़ती है, तो नदी में बनने वाला इसका प्रतिबिंब अद्भुत होता है। इसके अलावा भेड़ाघाट और यहां के संगमरमर चट्टान की खूबसूतरी उस समय चरम पर होती है जब चांद की रोशनी चट्टान और नदी पर एक साथ पड़ती है। इन संगमरमरी चट्टानों पर तेज प्रवाह से गिरता नर्मदा नदी का जल पर्यटकों को हमेशा ही आकर्षित करता है। आजादी से पहले भारतीय यात्री कैप्टन जे. फोरसाइथ ने अपनी पुस्तक ‘हाइलैंड्स ऑफ सेंट्रल इंडिया’ में मध्य भारत की आकृतियों और प्राकृतिक सुंदरता के बारे में बहुत कुछ लिखा है। तब वह भेड़ाघाट की खूबसूरत चट्टानों की व्याख्या करने से खुद को रोक नहीं पाते थे।
धुआंधार जल प्रपात –
यहां से कुछ ही दूरी पर ‘धुआंधार’ नामक प्रसिद्ध जल प्रपात भी है। यहां पवित्र नदी नर्मदा कुछ फीट नीचे खड्ड में गिरती है और फुहारों के साथ ऊपर उछलती है। यह नजारा विश्व में बहुत ही कम जगह देखने को मिलता है। अगर आप भेड़ाघाट जाते हैं तो वहां बोटिंग का भी अनुभव ले सकते हैं। सैलानियों के लिए धूप में छल-छल चमकते पानी पर बोटिंग करना एक सुखद अनुभूति होती है। हर साल सैलानी नवंबर से मई के बीच यहां पहुंचकर रोमांचकारी बोटिंग का लुत्फ उठाते हैं।
भेड़ाघाट कैसे पहुंचें –
भेड़ाघाट के लिए नजदीकी एयरपोर्ट जबलपुर (23 किलोमीटर) है। दिल्ली और भोपाल आदि से जबलपुर के लिए नियमित रूप से फ्लाइट उड़ान भरती है। एयरपोर्ट के अलावा जबलपुर एक बहुत बड़ा रेलवे जंक्शन भी है। यहां से आप बस, टैंपो, टैक्सी आदि लेकर भेड़ाघाट आसानी से पहुंच सकते हैं। वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक देन की वजह से मध्यप्रदेश पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां की झीलें, पर्वत, नदियां, प्राचीन किले और हरा-भरा शांत वातावरण हमेशा ही सैलानियों को यहां आने के लिए आकर्षित करता रहता है। प्रकृति की एक मनोहारी स्वप्न भूमि ‘भेड़ाघाट’ ऐसा ही एक आकर्षक पर्यटन स्थल है जो अपनी ऊंची-ऊंची चट्टानों और झीलों के लिए जाना जाता है। भेड़ाघाट का वातावरण बेहद शांत रहता है। कहा जाता है कि एक बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ‘जब इस जगह का दौरा किया तब उन्होंने कहा था कि जितनी शांति यहां है, वैसी अगर दुनिया में हो जाए तो क्या कहना।
संगमरमर चट्टानों की मनोहारी छंटा
भेड़ाघाट की खासियत नर्मदा नदी के दोनों तटों पर संगमरमर की सौ फुट तक ऊंची चट्टानें हैं। संगमरमर के लगभग दो किलोमीटर लंबे चट्टानों के आकार की अनूठी विविधा और विभिन्न मनोहारी रंगों की कोमल छटा देखते ही बनती है ।