शहर के सदियों पुराने वृक्षों की कटाई का मामला गरमाया ….
आशीष रावत – नर्मदापुरम के पिपरिया शहर के विकास में बाधा बन रहे सदियों पुराने वृक्षों की कटाई के मामले को राजधानी 24×7 न्यूज़ ने प्रमुखता से कल उठाया था , मामले को नपा अध्यक्ष ने गंभीरता से लेते हुए अपना पक्ष रखा है वही इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है ….
खबर का असर ….. खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें …. आखिर क्यों कट रहे हरे भरे वृक्ष
पिपरिया के मुख्य मार्गों से सदियों पुराने वृक्षों को काटने की खबर को कल हमने प्रमुखता से उठाया था । इस मामले में शहर की जनता कीआवाज को हमने प्रमुखता से उठाया था । अब इस मामले में नगरपालिका अध्यक्ष ने अपना पक्ष आम जनता के सामने रखा है । वही इस मामले में शहर के बुद्धिजीवियों ने चिंता व्यक्त की है ।
नगर पालिका अध्यक्ष ने क्या कहा –
शहर की नगर पालिका अध्यक्ष नीना नवनीत नागपाल हाल ही में नगर परिषद् में चुनकर आई हैं । नीना नवनीत नागपाल पिपरिया के विकास में दिन रात जी जान से लगीं हुईं हैं । नीना नवनीत नागपाल शहर के वार्डों में आम जनता से रूबरू होकर उनकी समस्याओं का निराकरण करती हैं जिस वजह से उनकी लोकप्रियता आम जनता में काफी अलग बानी है । शहर के विकास में नीना नागपाल बढ़चढ़कर आगे रहती हैं । नीना नागपाल ने वृक्षों की कटाई मामले को गंभीरता से लेते हुए अपना पक्ष रखा है । नीना नवनीत नागपाल ने शहर की जनता को सोसल मीडिया के माध्यम से अपना पक्ष रखते हुए आश्वस्त किया कि विकास के लिए सदियों पुराने वृक्षों को हटाना जरुरी है पर इनसे ज्यादा वृक्ष लगाए जायेंगे ।
वही इस मामले में शहर के बुद्धिजीवियों ने चिंता व्यक्त की है। शहर के विकास के लिए सदियों पुराने वृक्षों की बलि देने से पर्यावरण को काफी नुक्सान होगा। गर्मियों के मौसम में जहां तेज धुप से इन वृक्षों की छाँव मिलती है तो वही बारिश के दिनों में मानसून भी इन वृक्षों के चलते मेहरबान रहता है । वृक्षों की कटाई से पर्यावरण पर खासा प्रभाव पड़ेगा ।
समाजसेवी गोपाल राठी के अनुसार इन वृक्षों की बलि विकास के नाम पर देना गलत है । वही शहर के युवा अभिषेक के अनुसार इसका हल निकलना चाहिए इस तरह इन वृक्षों की कटाई नहीं होनी चाहिए ।
राजधानी 24×7 न्यूज़ के सुझाव –
शहर के विकास में बाधा बन रहे इन वृक्षों के लाभ को देखते हुए नगर पलिका को इन्हे काटने से बेहतर है कि इन वृक्षों की शिफ्टिंग पर विचार करना चाहिए। इन्हे काटने की जगह किसी अन्य जगह स्थापित किया जा सकता है । देश में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जहां सदियों पुराने वृक्षों को जड़ सहित एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा चूका है । इन वृक्षों के विकास में सालों का समय लगता है पर्यावरण को हानि पहुंचाए बिना इन्हे शिफ्ट किया जा सकता है जिससे इन्हे सुरक्षित रखा जा सकता है और विकास भी किया जा सकता है ।