आलोक सिंह नरसिहपुर ब्यूरो – ओशो को आज कोन नही जानता , ओशो मूलतः मध्य प्रदेश के नरसिहपुर जिले में गाडरवाड़ा से हैं , अब गाडरवाड़ा की नगर पालिका को ओशो याद आ रहे हैं….
विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक और अपनी तर्क शक्ति के दम पर पूरे विश्व मे अपना डंका बजा चुके ओशो के नाम से पहली बार इस शहर में नगरपालिका ने अपने पिपरिया मार्ग तरफ के स्वागत द्वार पर ओशो की धरा गाडरवारा में आपका स्वागत है का उल्लेख कर पूरे विश्व के ओशो सन्यासियों का मन प्रसन्न कर दिया है । यह शहर ओशो की क्रीड़ा स्थली है और ओशो का बचपन यहाँ बीता है ओशो के बचपन की विलक्षणता के अनेक किस्से यहाँ उनके साथी रहे लोगों से सुनने को मिले और मिलते रहते हैं । ओशो ने भी अपने स्वर्णिम बचपन नामक प्रवर्चन में गाडरवारा की अनेक घटनाओं का उल्लेख किया है । ओशो के स्वर्णिम बचपन की इन्ही बातों को लेकर एक फ़िल्म रिबोलियस फ्लाबर बनाई गई है जिसका फिल्मांकन यहाँ किया गया था । ओशो की क्रीड़ा स्थली में ओशो लीला आश्रम बनने के बाद से ओशो के विश्व भर के सन्यासियों का बड़ी संख्या में सालभर यहाँ आना होता रहता है।
अब आई सुध – नगरपालिका गाडरवाड़ा द्वारा ओशो के नाम पर एक बोर्ड लवाय गया है । नगर की पहचान ओशो हैं फिर भी इतने सालों तक नगर पालिका को ये ध्यान नही रहा । खेर देर आये दुरुस्त आये ….