मप्र में स्वास्थ्य विभाग के क्या कहने
संजय दुबे – मप्र में इन दिनों स्वास्थ्य विभाग कितना गंभीर है इसकी बानगी होशंगाबाद और बड़वानी में देखने को मिली , एक तरफ जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों को बड़ी सावधानी से आम जनता से बचाते हुए अलग रखना है वही इन जिलों में कोरोजा पॉजिटव मरीजों को मजाक बनाकर रख दिया गया , हैरत की बात ये है की दोनों जगह स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई जिसके चलते कोविड का खतरा बढ़ गया …
हम बात करेंगे होशंगाबाद जिले की जहा एक संदिग्ध मरीज जिला चिकत्सालय एक बार नहीं तीन बार गया अपना कोविड टेस्ट कराने पर हर बार उसे फीवर क्लिनिक से खाली हाथ आना पड़ा। मजबूरन उस मरीज को नजदीक के जिले सीहोर के बुधनी अपना कोविड टेस्ट कराने जाना पड़ा। जहां उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। बात यहीं खत्म नहीं हुई बुधनी के शासकीय चिकत्सालय से उसे पी पी इ किट पहनाकर मोटरसाइकिल से होशंगाबाद के पवार खेड़ा स्थित कोविड केयर सेंटर भेज दिया गया।
क्या है पूरा मामला आप भी समझिये –
होशंगाबाद का रहने वाला एक युवक 26 जुलाई को बुदनी में अपनी कोरोना जांच कराने के लिए आया था। जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को पॉजिटिव आई। बुदनी अस्पताल प्रबंधन ने बड़ी लापरवाही दिखाते हुए कोरोना पीड़ित को अस्पताल बुलाया और उसे रिपोर्ट के साथ PPE KIT थमा कर पवारखेड़ा स्थित कोविड सेंटर भेज दिया। युवक ने होशंगाबाद में तीन बार फीवर क्लिनिक पहुंच कर अपनी जांच के लिए बोला पर उसकी जाँच नहीं हो सकी । बताया जा रहा है कि मामले की खबर मिलते ही प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की। इस बड़ी लापरवाही को लेकर प्रशासन ने सीएमएचओ डॉ. सुधीर जैसानी के नाम कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। कोरोना प्रोटोकॉल के लिहाज से किसी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आने पर उसकी जांच होनी चाहिए। अगर व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसे एम्बुलेंस से कोविड केयर सेंटर भेजा जाता है। फिलहाल नियमों की अनदेखी उजागर होने के बाद स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं कोरोना संक्रमित युवक पवारखेड़ा कोविड केयर सेंटर में भर्ती है और उसका इलाज जारी है।
बड़वानी में तो कोरोना पॉजिटिव मरीज बीच बाजार से पैदल भेज दिया –
बड़वानी में कोरोना संक्रमण को लेकर प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। कोरोना पॉजिटिव मरीज खुद पैदल ही अस्पताल पहुंचा। मामला अंजड़ सिविल लाइन अस्पताल का है जहां कोरोना पॉजिटिव मरीज को एंबुलेंस में लाने की बजाए उसे खुद ही अस्पताल आने को कहा गया । इस पर वह डेढ़ किमी तक पैदल चलकर बाजार से गुजरते हुए वहां पहुंचा । जब वार्ड नंबर आठ के लोगों ने कोरोना मरीज के साथ इस घटना की बात कलेक्टर को कही तो उन्होंने तहसीलदार और स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारियों के साथ इस मामले में बात की। तहसीलदार राजेश कोचले ने कहा कि मामले की जांच करवाएंगे ।
स्वास्थ्य महकमे की इन गलतियों की वजह से न जाने कितने आम जनता कोरोना पॉजिटिव मरीज के सम्पर्क में आये होंगे ये अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।