आखिर जनप्रतिनिधि चुप क्यों हैं ….
संजय दुबे – नर्मदापुरम के पिपरिया में इन दिनों शासकीय भगत सिंह कालेज के कर्मचारियों की आत्म हत्या का मामला गरमाया हुआ है , एक तरफ कालेज के कर्मचारियों के सुसाइड नोट आम जनता में चर्चा का बिषय बने हुए हैं , वहीं विपक्षी दल इस मुद्दे को हाथों हाथ ले कर निष्पक्छ जाँच की मांग कर रहे हैं , सत्ताधीन जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से कई सवाल आम जनता के मन में बार बार आ रहे हैं ….
पिपरिया के शासकीय भगत सिंह कालेज में एक माह के अंदर दो कर्मचारियों ने आत्म हत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली वहीं एक कर्मचारी ने अपने परिवार के साथ मौत को गले लगा लिया । कालेज में भ्र्ष्टाचार को लेकर प्राचार्य से लेकर आधा दर्जन कर्मचारियों और शहर के हाई प्रोफ़ाइल नाम सुसाइड नोट में सामने आ रहे हैं । शहर के प्रतिष्ठित नामो के सुसाइड नोट में नाम हैं । मृतक राजेश रैकवार ने अपने सुसाइड नोट में कालेज के भ्र्ष्टाचार का काफी लम्बा चौड़ा जिक्र किया है । वही एक और कालेज के कर्मचारी ने अपने परिवार के साथ मौत को गले लगा लिया । शहर में चार चार आत्महत्या ने आम जनता को कालेज में हो रहे भ्र्ष्टाचार पर सोचने पर मजबूर कर दिया है । इस मामले को कांग्रेस और आप पार्टी ने हाथों हाथ लेकर स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर मामले में सीबीआई , एस आई टी जाँच की मांग की है । शहरवासी सत्ता में बैठे जन्रपतिनिधियों की चुप्पी को समझ नहीं पा रहे हैं । सत्ता दल के विधायक से लेकर जिला अध्यक्छ तक पिपरिया से हैं । इसी कालेज से माननीयों ने अपनी पढ़ाई भी पूरी की है । शहर के बच्चों के भविष्य से जुड़े इस शिक्छा के मंदिर में हुए भ्र्ष्टाचार के मामले और आत्म हत्या के मामलों में चुप्पी से आम जनता में ये चर्चा का बिषय बना हुआ है कहीं सत्तारूढ़ दल की मिली भगत से तो कालेज में अनैतिक गतिविधि नहीं चल रही थी जिसका जिक्र मृतक ने अपने सुसाइड नोट में किया था । जनप्रतिनिधियों की चुप्पी से कई तरह की अपवाहों को बल मिल रहा है ।
क्या है मामला –
शासकीय भगत सिंह कालेज में एक माह पूर्व कालेज के एक कर्मचारी राजेश रैकवार ने ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली थी । आत्महत्या के बाद मृतक का एक सुसाइड नोट में कालेज के प्राचार्य सहित कालेज के अन्य कर्मचारियों और शहर के हाई प्रोफाइल नामो का जिक्र करते हुए करोड़ो के भरस्टाचार ओर देह व्यापार के आरोप लगाए थे । इस मामले की जांच जी आर पी पिपरिया कर ही रही थी कि कुछ समय बाद कालेज के एक ओर कर्मचारी मकरंद ने अपनी पत्नी और बेटी के साथ घर मे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । मकरंद की आत्महत्या के बाद एक सुसाइड नोट वायरल होता है जिसमे मृतक ने राजेश रैकवार की पत्नी पर कालेज के भरस्टाचार से सम्बंधित दस्तावेज होने का दबाब बनाया बताया गया ।
पुलिस पर संदेह क्यो –
कालेज के कर्मचारी राजेश रैकवार की आत्महत्या के बाद जी आर पी ने डेड बॉडी से कोई सुसाइड नोट नही मिलने की बात कही गई थी । जबकि मृतक राजेश रैकवार के बेटे निशांत ने बताया कि जी आर पी ने एक रुमाल में पिताजी का सामान दिया था जिसमे उनका सुसाइड नोट भी मिला है । कालेज में हो रहे भरस्टाचार ओर देह व्यापार के बारे में पिता ने सुसाइड नोट में सबके नाम लिखे है जो इसमे लिप्त है पर जी आर पी की जांच सिर्फ नोटिस तक सीमित होते दिख रही है । मृतक राजेश रैकवार की डेड बॉडी पर किसी तरह के ट्रेन से कटने के निशान नही मिले उनकी मौत ट्रेन से टकराने से हुई बताई गई । ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें ट्रेन के सामने फेंक कर हत्या को आत्महत्या बताया गया हो । वहीं मकरंद ओर परिजनों की सामूहिक आत्महत्या के बाद पिपरिया पुलिस ने न समय पर एफ एस एल टीम को बुलाया न ही किसी तरह के मकरंद के घर से फिंगरप्रिंट लिए आनन फानन में डेड बाडियो को उतारकर पी एम के लिए भेज दिया । मकरंद ओर उसके परिवार की मौत के समय उनके शव घर मे फांसी के फंदे पर कुछ इस तरह से झूल रहे थे जो कि जमीन से महज एक फिट ऊपर थे जो संदेह पैदा करते हैं । मकरंद सामूहिक आत्महत्या मामले में पुलिस की एक ओर बड़ी गलती रही कि उनका सुसाइड नोट वायरल हो गया । जो कई सवाल खड़े करता है ।
विपक्ष ने उठाया मुद्दा –
शासकीय कालेज के कर्मचारियों की आत्महत्याओ के मामलों को आप ओर कांग्रेस nsui ने हाथों हाथ लेते हुए मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए एस आई टी या सी बी आई जांच की मांग की है ।
सत्तादल की चुप्पी बनी चर्चा –
भगत सिंह कालेज में कर्मचारियों की आत्महत्या पर अब तक न खुल कर स्थानीय विधायक ठाकुर दास नागवंशी कुछ बोल रहे है और न ही भाजपा के जिलाध्यक्ष माधवदास अग्रवाल कुछ बोल रहे हैं ओर न ही भाजपा ने इस मामले में कोई दिलजसपी दिखाई है जिससे शहर में जनचर्चा है कि कहीं इनकी सहभागिता या संरक्षण में तो नही हुआ कालेज में गोलमाल ?