आशीष रावत…..नर्मदापुरम जिले के एक गांव में आदिवासी की जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लेने से परेशान होकर आदिवासी परिवार मजबूरी में अपने परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति मांगने कलेक्ट्रेट ऑफिस तक आ गए……

मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदापुरम के आदिवासी ब्लाक केसला में पेसा एक्ट जागरूकता सम्मेलन किया । एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने पर मंच से समझाते है। और वहीं नर्मदापुरम जिले के बाबई तहसील के खिरिया के आदिवासी परिवार इतने परेशान हो गए की मजबूरी में अपने परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति मांगने कलेक्ट्रेट ऑफिस तक आ गए । गांव के एक दबंग परिवार ने पहले इन परिवारों से जमीन सिकमी के नाम पर ली। फिर आदिवासी परिवारों को प्रताड़ित कर जबरन उन जमीनों को खरीदने की बात कहकर भगा दिया । दबंग परिवार यही नही रुका इन परिवारों की जाति तक रिकार्ड में बदलवा दिए । इन परिवारों ने अपनी जमीन और ट्रेक्टर के लिए दो साल में कई बार तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक शिकायत की पर गांव के दबंग परिवार पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और न ही आदिवासी परिवार को न्याय मिल सका। आदिवासी परिवार की जमीन पर कब्जा करने बाले दबंग परिवार द्वारा पीड़ित परिवारों को कई बार डराया धमकाया पर आदिवासी परिवार न डरा ओर न झुका, न्याय के लिए प्रशासन के चक्कर कटता रहा, न्याय न मिलने के चलते अब हताश हो कर सामूहिक रूप से आत्महत्या की अनुमति मांग रहा है। प्रदेश में कई ऐसे दबंग है जो आदिवासियों की जमीन हड़प रहे है सरकार तमाशा देख रही है

साहब सिंह जाति से आदिवासी है । जो कि बाबई के खिड़िया गांव के रहने वाले हैं । गांव के ही दबंग परिवार के जीवनलाल मीना जो की गांव के ही स्कूल में शिक्षक हैं जीवन और इनके भाई रेवाराम मीणा ने साहब सिंह ने जमीन और ट्रेक्टर को किराए पर दिया पर गांव के जीवन लाल और रेवाराम को किराए पर दिया था ,एक साल तक तो साहब सिंह आदिवासी को जीवन लाल और रेवाराम ने जमीन और ट्रेक्टर का किराया दिया उसके बाद आदिवासी साहब सिंह को जमीन और ट्रेक्टर से बेदखल कर दिया । साहब सिंह के परिजनों के नाम भी इन दबंगों ने गांव के वोटरलिस्ट से लेकर राशन कार्ड से तक कटवा दिए । बात यहीं नही रुकी साहब सिंह की जाति भी रिकार्ड में बदलवाकर जमीनों को अपने नाम करवा लिया । साहब बताते है हम गरीब हैं आदिवासी हैं कई बार तहसील से लेकर कलेक्टर तक शिकायत की पर कोई सुनवाई नहीं होती । आज मजबूरन आत्म हत्या की अनुमति मांगने आए हैं । वहीं इनकी बुजुर्ग मां भी आज कलेक्टर ऑफिस आकर आत्महत्या की अनुमति मांगती रहीं ।

नरेंद्र सिंह भी अपने परिवार के साथ बुधवार को नर्मदापुरम कलेक्ट्रेड आफिस पहुँचकर लिखित में जिला कलेक्टर से आत्महत्या की अनुमति मांगी। नरेंद्र सिंह आदिवासी है मजदूरी कर अपना परिवार चलाते हैं । गांव के दबंग मीणा परिवार ने इनके खेत पर कब्जा कर इन्हे बेदखल कर दिया । नरेंद्र बताते हैं गांव के दबंग परिवार के जीवन लाल मीणा ने अपनी जाति बदलकर शिक्षा विभाग में टीचर की नोकरी हासिल की ओर आज अपने ही गांव में गरीब आदिवासी परिवारों की जमीन हड़पने में लगे हैं । गांव के दबंग परिवार की दहशत इतनी है की कोई उनके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं होता । हमने कई बार थाने से लेकर तहसीलदार और कलेक्टर सर को लिखित शिकायत की पर सुनवाई कहीं नहीं होती । अगर हमे न्याय नहीं मिला तो आत्महत्या करने के अलावा कोई रास्ता नही बचता ।

आदिवासी परिवारों द्वारा कलेक्टर से मिलने की कोशिश की गई , परंतु कलेक्टर साहब इन्हे नही मिल सके। कलेक्ट्रेड में हाथों में कागज लेकर घूमने बाले आदिवासी परिवार से अपर कलेक्टर मिले, इन परिवारों ने अपनी आप बीती बताई, अपर कलेक्टर महोदय का इन परिवारों के दुख को सुनने के बाद कहा गया कि हम इच्छा मृत्यु की अनुमति नहीं देते वो चाहिए तो एसपी पुलिस के पास जाएं ।