संजय दुबे – छत्तीसगढ़ की आज एक ऐसी महिला से मिलाते हैं जिन्हे आज एक रुपया मुहीम से पहचान मिली , एक नाम जो आज किसी पहचान का मोहताज नहीं , सीमा वर्मा के बारे में आज हम आपको बताते हैं कि अपनी दिव्यांग सहेली की मदद के लिए बढ़े कदम ने आज उन हजारों बच्चो को सहारा दिया जो पढ़ने के लिए फीस तक नहीं जुटा पाते थे …
हम बात कर रहे हैं, सीमा वर्मा की। वो सीमा वर्मा जो आज समाजसेवा क्षेत्र में किसी पहचान की मोहताज नहीं है। मास्टर इन सोशल में डिग्री हासिल करने के बाद अभी सीमा बिलासपुर विष्वविद्यालय में एलएलबी की छात्रा है। अपने परिवार की इकलौती बिटिया सीमा के पिता कोल्ड फील्ड में सेवारत हैं,तो मां गृहणी हैं। तीन भाईयों के परिवार में दोनों भाई इंडियन आर्मी में सेवा दे रहे हैं।
आज छत्तीसगढ़ में सीमा की पहचान उनकी अनुठी 1 रूपया मुहीम के रूप में जानी जा रही है। एक रूपया लोगों से लेकर उन जरूरतमंद बच्चों की फीस जमा करती है,जिनकी आर्थिक स्थिति खराब है। सीमा ने बताया कि अभी तक तकरीबन 2 लाख रूपये की आर्थिक सहायता इस प्रकार 1 रूपये प्राप्त कर जमा करते हुए अंत में जरूरतमंद बच्चों की फीस जमा करते हुए दे चुकी है। उन्हें उनके इस उत्कृष्ट एवं उल्लेखनीय कार्य पर छत्तीसगढ़ के कई मंचों पर सम्मानित किया गया है। सीमा को इस पुण्य कार्य का जज्बा तब जगा था जब सीमा ग्रेजुएट की छात्रा थी तभी उनकी सहेली जो दिव्यांग थी,उनके लिए ट्रायसिकल दिलवाना था। अब परीक्षा सीमा की भी रही कि वो कैसे सहेली को ट्रायसिकल दिलाये। सोचा प्राचार्य से बात करें ऐसा हुआ भी प्राचार्य से मिलने पर उन्हें जवाब मिला एक सप्ताह बाद बात करते हैं। उसी दिन सीमा बाजार में संबंधित कई दुकानों पर गई जहां किसी ने इन्हें कहा कि 35000 रूपये का आएगा जो दिल्ली से मंगाना पड़ेगा जो 15 दिनों में आ सकता है। जबकि सीमा का जज्बा अपनी सहेली को मुफत में यह चीज भेंट करने का था। कदम रूके नहीं और आगे एक पंचर की दुकान पर गयी जहां अपनी जिज्ञासा प्रकट की और पंचर दुकान वाले को अपनी बात बतायी कहा कि अपनी सहेली के लिए बैटरी से चलने वाली ट्रायसिकल चाहिए कहां और कितने पैसे में आएगा पंचर दुकान वाला जानकार था उसने मजाक से सीमा से पहले पूछा आप कौन सी कक्षा में पढ़ती है इस पर उन्होंने ग्रेजुएषन अंतिम वर्ष की छात्रा के रूप में परिचय दिया। दुकान वाले ने कहा क्या तुम्हें यह भी नहीं पता कि सरकार इसे दिव्यांगो के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराती है ? आगे दुकानदार ने बताया कि तुम्हें ट्रायसिकल प्राप्त करने के लिए जिला पुर्नवासन केंद्र जाना पड़ेगा जहां आवश्यक दस्तावेज जमा करने पर 8 से 10 महीनों के भीतर मिल सकता है। सीमा ने कोई अन्य रास्ता बताने का जिक्र किया जहां पंचर दुकान वाले ने कहा कि आप संभाग के कमिशनर साहब के पास जाईये हो सकता है तुम्हें जल्द मिल जाये। सीमा वर्मा अब सीधे कमिश्नर के पास गई उन्होंने पीड़ा बताई और दूसरे दिन उनकी सहेली को ट्रायसिकल प्रदान किया गया। बुंद-बुंद से घड़ा भरता है कहावत चरितार्थ तब होता है, जब 1 रूपया मुहीम दूसरों के लिए ही नहीं अपने लिए भी बचत करते हैं तो यह विपरीत स्थितियों में काम आता है।
अब तक सीमा कई बार मंच पर हो चुकी है सम्मानित :-
1 रूपया मुहीम से जानी जाने वाली समाजसेवी सीमा वर्मा छत्तीसगढ़ में कई मंचों पर सम्मानित हुई है। बेस्ट वूमेन ऑफ छत्तीसगढ़ चांपा 2020, छत्तीसगढ़ माटी सपूत सम्मान 2019 बिलासपुर,उत्तरप्रदेश के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य जी के द्वारा सम्मान कुशीनगर,अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा संगठन छत्तीसगढ़ इकाई के द्वारा सम्मान 2017,अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा संगठन उत्तरप्रदेश इकाई 2018,केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले जी के द्वारा कुशीनगर में सम्मानित 2019, हिंदी टाइम न्यूज, लाइव टूडे,टीवी 24, इंडियन न्यूज की तरफ से कारोना योद्धा सम्मान, चाइल्ड लाइन बिलासपुर के द्वारा बाल दिवस पर सम्मान 2019 चाइल्ड लाइन के द्वारा महिला दिवस सम्मान 2020, महिला दिवस सम्मान 2018 रायपुर महिला दिवस सद्भावना संस्थान के द्वारा 2017 रायपुर, मानवाधिकार टीम बिलासपुर के द्वारा सम्मान 2018, रोटरीक्लब के द्वारा सम्मानित,बाप जी कॉलोनी के द्वारा महिला दिवस पर सम्मान 2020 मानवाधिकार के द्वारा 2020 महिला दिवस सम्मान,एलआईसी बिलासपुर के द्वारा2018में सम्मान शहीद दिवस पर विशेष सम्मान बेमेतरा 26 जनवरी 2020,वेल विशर फाउंडेशन अकलतरा के द्वारा महिला दिवस पर सम्मान 2020, गुरुकुल माडल स्कूल के द्वारा विशेष सम्मान 27 जनवरी 2020 नन्ही खुशियां अवॉर्ड नईदुनिया बिलासपुर,करोना योद्धा सम्मान टीवी वन न्यूज उत्तरप्रदेश,अब संकल्प ग्रुप के द्वारा विशेष कार्य करने के लिए सम्मान 2020 बिलासपुर। अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिती बिलासपुर में में वर्ष 2019 से सम्मानित किया गया है ।