नेत्रहीन बहन के लिए आँखे बना भाई
नीलेन्द्र मिश्रा भोपाल ब्यूरो – बहन की खातिर आज तक नहीं की शादी , बहन के लिए जीवन कुर्बान , एक अनोखी दास्ताँ …
भाई-बहन का रिश्ता प्रेम, स्नेह और समर्पण का रिश्ता है। बहन को जरूरत पडऩे पर भाई उसकी मदद के लिए तत्पर रहे और भाई की जरूरत में बहन भी उसकी मदद के लिए आगे आए। लेकिन यदि एक भाई अपनी बहन की मदद और सेवा के लिए अपना पूरा जीवन ही लगा, तो इसे इस पवित्र रिश्ते का चरम ही कहेंगे। रक्षा बंधन पर ऐसे रिश्ते की कहानी भाई और बहन को एक-दूसरे की मदद और सहयोग के लिए प्रेरित करते हैं । रायसेन जिले के बाड़ी ब्लॉक के ग्राम किनगी के भाई और बहन की कहानी कुछ ऐसी ही है । अपनी नेत्रहीन बहन की सेवा के लिए भाई ने अपना पूरा जीवन लगा दिया। खुद अविवाहित रहकर बहन की देखभाल की। मजदूरी कर दोनो का जीवन यापन हो रहा है। दोनो भाई बहन एक टूटी फूटी झोपड़ी में रह रहे हैं।
बहन मुन्नी बाई की उमृ लगभग 70 साल हो गई है। मुन्नी बाई बचपन से ही नेत्रहीन है। मां-बाप के गुजर जाने के बाद बहन की जिम्मेदारी भाई धीरू प्रजापति पर आ गई। उसने भी इस जिम्मेदारी को पूरी सिद्दत से निभाया । खुद विवाह नहीं किया, ताकि बहन की सेवा में कोई कमी न रहे।
मुन्नी बाई का कहना है कि भगवान ऐसा भाई सब बहनो को दे। हर जनम में उसे धीरू ही भाई के रूप में मिले। भाई धीरू का कहना है कि भगवान ने उसकी बहन को आंखों में रोशनी नहीं दी । ऐसे में उसकी देखभाल की जिम्मेदारी उसकी थी, जो वो आज तक निभा रहा है ।