पिपरिया शासकीय अस्पताल में सालों से काबिज हैं
आशीष रावत पिपरिया ब्यूरो – सरकार से तन्खा और मरीजों से कमाई भी , होशंगाबाद जिले के पिपरिया शासकीय सिविल अस्पताल में सालों से एक ही जगह पदस्थ होकर सरकारी और प्रायवेट प्रेक्टिस हो रही …
पिपरिया सरकार से भी आन दो और प्राइवेट से भी कमा लो । पिपरिया शासकीय सिविल अस्पताल में कहने को तो मध्यप्रदेश शासन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पैथोलॉजी लैब बनी हुई है पर इस लैब में काम करने वाले सरकार से भी लाभ ले रहे हैं और प्राइवेट में पैथोलॉजी लैब चला रहे हैं । पिपरिया के सिविल अस्पताल में पैथोलॉजी लैब में काम करने वाली लैब टेक्नीशियन काफी समय से प्राइवेट में भी पैथोलॉजी लैब संचालित कर रही हैं । शासन से शासकीय चिकित्सालय में इन्हें पैथोलॉजी लैब प्रभारी बनाया गया है लैब टेक्नीशियन के पद पर होते हुए शासन से हर महीने हजारों रुपए की सैलरी पा रही हैं । वही प्राइवेट में शहर के रेलवे फाटक के नजदीक महाकाली मंदिर के पास इनके घर में हर्ष पैथोलॉजी के नाम से एक लैब भी चलाई जा रही है । सवाल उठना लाजमी है क्या एक शासकीय कर्मचारी सरकारी लैब में मरीजों को वह सुविधा देगा जो वह अपने प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में पैसे लेकर उपलब्ध कराता होगा । कई बार तो देखने में आया है शासकीय चिकित्सालय में मौजूद पैथोलॉजी लैब में महंगी टेस्ट जो कि शासन द्वारा निशुल्क है उन्हें यह कहकर मना कर दिया जाता है कि किट मौजूद नहीं है प्राइवेट से टेस्ट कराइए । एक गरीब मरीज मजबूरी में डॉक्टर द्वारा लिखे गए टेस्ट को प्राइवेट में कराने जाता है जहां उससे इन टेस्टों के बदले मोटी रकम वसूली जाती है । क्या गरीब मजबूर आदमी का इस तरह लाभ लिया जा सकता है इसका जीता जागता उदाहरण सरकार से भी लो और गरीब मजदूर मरीज से भी लो । आखिर क्या वजह है जो कई सालों से लैब टेक्नीशियन के पद पर पिपरिया में सिर्फ काबिज है इनका ट्रांसफर आज तक शासन ने कहीं और क्यों नहीं किया क्या इस तरह शासन प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की चिंता करती है । सरकार द्वारा जो सुविधाएं आम जनता गरीबों को निशुल्क मिलना चाहिए जिनका कोई शुल्क नहीं होता उनका शुल्क भी मजबूरन मरीजों को भुगतना पड़ता है कहीं स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से तो यह खेल नहीं चल रहा है क्या एक शासकीय कर्मचारी अपने घर में पैथोलॉजी लैब भी संचालित कर सकता है ?