इंदौर के निजी अस्पताल की लापरवाही आई सामने

राहुल शर्मा इंदौर ब्यूरो – इंदौर के अस्पतालों में लापरवाही के मामले एक के बाद एक सामने आ रहे हैं , इंदौर में पहले एमवाय निजी अस्पतालों में शवों के साथ लापरवाही सामने आ रही है , इंदौर में 87 साल के बुजुर्ग की मौत , परिजनों का आरोप – शव को कई जगह चूहाें ने कुतरा, परिजनों ने जमकर किया हंगाम, कलेक्टर ने दिए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश….

इंदौर में कोविड-19 का इलाज कर रहे एक और अस्पताल ने सोमवार को मानवता को शर्मसार कर दिया । अन्नापूर्णा क्षेत्र स्थित यूनिक अस्पताल में तीन दिन पहले भर्ती हुए 87 साल के बुजुर्ग की रविवार देर रात को मौत हो गई । परिजनों का आरोप है कि मौत के बाद अस्पताल ने लापरवाही पूर्वक शव को रख दिया था जिसके बाद पूरी बॉडी को चूहों ने कुतर दिया । मामला सामने आने के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने शव के साथ हुई अमानवीय घटना पर मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। कलेक्टर के आदेश पर जांच एडीएम अजय देव शर्मा करेंगे । परिजनों के अनुसार मृतक 87 साल के नवीन चंद जैन निवासी इतवारिया बाजार हैं । उन्हें सांस लेने में तीन दिन पहले तकलीफ होने के बाद 17 सितंबर को यूनिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। कोविड वार्ड में रखकर इलाज किया जा रहा था। रविवार देर रात 3 बजे के करीब उनकी मौत की सूचना दी गई। हमें कहा गया कि निगम की गाड़ी उन्हें अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाएगी । इसके बाद हम दोपहर 12 बजे अस्पताल पहुंचे तो हमने देखा कि शव को जगह-जगह चूहों ने कुतर रखा है। हमने प्रबंधन से बात की तो उनका कहना था कि हमसे गलती हो गई।
परिजन प्राची जैन का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने देर रात उनकी मौत की सूचना दी। जब हम अस्पताल पहुंचे तो उन्हें एक लाख से अधिक का बिल थमा दिया गया। बिल जमा करने के बाद शव सुपुर्द किया गया। शव देख हमारे होश उड़ गए। शव के चेहरे और पैर में गंभीर घाव थे। अस्पताल प्रबंधन ने शव को कहीं ऐसी जगह रख दिया था जहां चूहों ने शव को कुतर दिया। उनका कहना है कि चूहे ने आंख में बुरी तरह से कुतरा है। आक्रोशित परिजनों ने शव अस्पताल के बाहर रखकर हंगामा किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने समझाइश दी जिसके बाद भी अस्पताल की तरफ से कोई जिम्मेदार नहीं आया जो परिजनों को पूरी जानकारी दे सके।
परिजनों के अनुसार अस्पताल में भर्ती करने के बाद अस्पताल वालों ने हमें मिलने नहीं दिया। रविवार शाम 4 बजे फोन पर बात हुई तो वे अच्छे से बात कर रहे थे। रात साढ़े 8 बजे अस्पताल वालों ने हमें बुलाया और हालत गंभीर बताते हुए हमसे कागज पर साइन करवा लिया। देर रात साढ़े 3 बजे हमें बताया कि उनकी मौत हो गई है। यदि वे कह देते तो हम रात में ही शव लेकर चले जाते। चार घंटे में ऐसा हो सकता है कि चूहा इस प्रकार से बॉडी को कुतर देगा। अस्पताल वालों ने इस प्रकार से क्यों छोड़ा। ये बिल्कुल न्याय नहीं है, यह हमारे साथ अन्याय हुआ है।