विवेक पांडेय भिंड … प्रदेश में नम्बर 1 हॉस्पीटल कहलाने वाले जिला अस्पताल में मरीजों को ईलाज की तमाम सहूलियतें देने का दावा करने वाले भिण्ड जिला अस्पताल की ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और ही है । जिला अस्पताल कागजो में तो नंबर वन है पर जमीनी हकीकत कुछ ओर बया करती है। इंसानियत को शर्मशार करने वाली घटना आज भिंड जिला चिकित्सालय में देखने को मिली …
भिंड  इलाज के दौरान एक वृद्ध की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन मृतक के परिजनों को शव ले जाने के लिए वाहन भी उपलब्ध नही करा पाया, जिसके चलते परिजन शव को हाथ ठेले से ले जाने को मजबूर हो गए। मौत के बाद शव ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध न करना पाना अवॉर्ड से अव्वल दर्जा प्राप्त भिण्ड हॉस्पीटल के बेहतर इंतजामों की पोल खोलता है । शव ले जाने के लिए मृतक के परिजनों ने कई बार अस्पताल प्रबंधन को फोन लगाया, लेकिन उनकी एक नही सुनी गई । भिंड जिला चिकत्सालय में स्वास्थ्य अमले की इस प्रकार की बदइंतजामी आम हो गई है । जिसके चलते कई बार डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटनाएं भी हो जाती है । खास बात यह है कि यह वाकया उस समय हुआ है जब अस्पताल प्रबंधन एक बार फिर से चिकत्सालय कायाकल्प में नम्बर 1का दर्जा हासिल करने की तैयारियों में जुटा हुआ है । बावजूद इसके जिम्मेदार इस प्रकार की कमियों को दूर नही कर पा रहे हैं। जिसका खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है ।
वही गौरतलब है कि जब डॉक्टर इलैयाराजा टी भिंड कलेक्टर थे तो उन्होंने जिला चिकित्सालय में डॉक्टरों के साथ साथ अन्य सारी सुविधाओं का खयाल रखा था रात में भी मरीजों की देखभाल के लिए स्वयं पहुंच जाते थे लेकिन डॉक्टर इलैया के जाते हैं हॉस्पिटल में अव्यवस्थाओं का आलम बना हुआ है ।