झाबुआ में अनूठी पहल
राजधानी न्यूज़ डेस्क – जल संग्रहण के लिए कार्य कर रही सामाजिक संस्था शिवगंगा के अभियान के तहत हाथीपावा की पहाड़ी पर रविवार सुबह सामूहिक श्रमदान हुआ है । 20 हजार ग्रामीणों ने श्रमदान करते हुए 40 हजार जल संरचनाएं बनाई …
झाबुआ जल संरक्षण या पानी को बचाना आज दुनिया में बड़ा मुद्दा बना हुआ है । इसकी तरफ लोगों का ध्यान ले जाना आवश्यक है । इसे शहरी समझे या न समझे पर ग्रामीण आदिवासी इस हकीकत को जानते हैं। आदिवासी अपनी परंपराएं निस्वार्थ भाव से निभाते हैं। झाबुआ में आदिवासी जिस कार्य में संलिप्त हैं उसे हलमा कहा जाता है। आदिवासियों ने हलमा के माध्यम से झाबुआ की हाथी पावा पहाड़ी पर 40 हजार जल संरचनाएं बनाई है । इस हलमा के माध्यम से 360 करोड़ लीटर पानी जो बारिश में व्यर्थ बह जाता है, उस जल को इन जल सरचनाओं के माध्यम से यहीं जमीन में एकत्रित करना इससे बारिश का पानी जल संरचनाओं से जमीन पर उतरेगा, जिससे जमीन का जल स्त्रोत बढ़ेगा। शिवगंगा के इस आयोजन को 13 वर्षो से चल रहा है । यहां से सीख लेकर लोग अपने अपने गांव निकल जाते हैं वहां भी जल संरचनाएं बनाते हैं ।झाबुआ अंचल के आदिवासी लोग अपने हाथों में गेती, सिर पर तगाड़ी और लोकगीत गुनगुनाते हुए इस हाथी पावा पहाड़ी की ओर निकल पड़े हैं। लोकगीतों को गुनगुनाते हुए 40 हजार के आसपास जल संरचनाएं बनाई जा रही है। जिसे देखने के लिए झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया सहित अन्य जिले के अधिकारीगण हाथी पावा पहाड़ी पर पहुंचे । सभी आदिवासी अपने अपने स्तर से इन जल संरचनाओं को बनाने में जुटे हुए हैं। सुबह सबेरे उठकर रात गहराने तक आदिवासी जल संरचनाओं के निर्माण में जुटे रहते हैं।