आशीष रावत……नर्मदापुरम जिले में भ्रष्टाचार के मामले में बड़ा फैसला देते हुए तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुशीला वर्मा की अदालत ने ग्राम पंचायत धुरपन के तत्कालीन सचिव को दोषी पाकर 10 साल के सश्रम कारावास एवं 2 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई …..

नर्मदापुरम जिले के ग्राम पंचायत धुरपन के तत्कालीन सचिव को भ्रष्टाचार के मामले में 10 साल की जेल हुई है । बुधवार को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुशीला वर्मा ने आरोपी सचिव नीलेश मेहतो को 10 साल एवं 2 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई । साथ ही गबन करने वाले पूर्व सरपंच रमेश लोखंडे को फरार घोषित किया

 

 

क्या था पूरा मामला….
2011-2012 में आरोपी सचिव निलेश मेहतो गोंची-तरोंदा पंचायत में पदस्थ था। उसे धुरपन पंचायत सचिव का भी अतिरिक्त प्रभार दिया था। धुरपन में सचिव मेहतो ने सीसीरोड और आंगनवाड़ी भवन के लिए आवंटित राशि का गबन किया । सचिव ने पूर्व सरपंच रमेश लोखंड़े के साथ मिलकर 6.76 लाख रुपए का गबन किया था। जिसकी शिकायत के बाद जांच हुई । जांच में शिकायत सहीं पाए जाने पर सचिव और पूर्व सरपंच के खिलाफ गबन का केस दर्ज हुआ । कोर्ट में 10 साल बाद बुधवार को तत्कालीन सचिव मेहतो को 10 साल की सजा सुनाई गई । पूर्व सरपंच रमेश लोखंडे को फरार घोषित किया गया।

 

 

 

 

 

ऐसे हुई सजा….. न्यायालय ने सरकारी राशि का न्यास भंग कारित किए जाने का दोषी पाते हुए अपराध की गंभीरता को देखते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा एवं धारा 409 भारतीय दंड विधान के तहत दंडित किया है । अर्थदंड न चुकाने पर आरोपित को 3 माह का सश्रम कारावास और भुगतना होगा । प्रकरण में निर्णय के समय आरोपी जमानत पर होने के कारण न्यायालय में उपस्थित था, उसे सजा वारंट से जिला जेल भेजा गया।

इस प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला ने बताया कि फरियादी तत्कालीन जनपद कार्यपालन अधिकारी आरएस कुशवाहा ने थाना पथरोटा में 5 जनवरी 2014 को आवेदन देकर बताया कि ग्राम पंचायत गौंची तरोंदा के तत्कालीन सचिव नीलेश मेहतो के पास 2 वर्षों से ग्राम पंचायत धुरपन का अतिरिक्त प्रभार है, ओर वह घोषित रूप से दोनों पंचायतों में सचिव का कार्य कर रहा था, उस समय पंचायत का सरपंच रमेश लोखंडे था, ग्राम पंचायत धुरपन के पूर्व सचिव एवं सरपंच द्वारा की गई अनियमितता के संबंध में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया था, जिसमें ग्राम पंचायत केसला द्वारा वित्तीय अनियमितता के संबंध में नीलेश मेहतो को पत्र भी जारी किया गया था, लेकिन आरोपित समीक्षा बैठक में उपस्थित नहीं हुआ था, ना ही उसने किसी प्रकार की कोई जानकारी दी थी। समीक्षा बैठक में जांच के निर्देश प्राप्त होने पर 20 मार्च 2013 को सेंट्रल बैंक इटारसी एवं एसबीआई की शाखा से सरपंच- सचिव द्वारा आहरित की गई राशि की ब्यौरा निकाला गया। 21 मई 2013 को निरीक्षण करने पर ग्राम धुरपन में सीसी रोड निर्माण एवं ग्राम कलमेसरा में आंगनबाड़ी भवन निर्माण कार्य कराना बताया गया था, मौके पर निरीक्षण करने पर कोई भी निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं होना पाया गया। सरपंच- सचिव द्वारा फर्जीवाड़ा करने की बात सामने आई थी। पंच परमेश्वर मद से 5 लाख 15 हजार रुपये आहरण किए गए थे। आंगनबाड़ी भवन की राशि के मद से 2 लाख 31 हजार रुपये निकाले गए थे। इस तरह करीब 7 लाख 45 हजार 200 रुपये बैंक से निर्माण कार्य हेतु आहरित किए गए। तत्कालीन उप यंत्री द्वारा मौके पर निरीक्षण एवं मूल्यांकन करने पर पंच परमेश्वर मद से 7 हजार, परियोजना मद से आंगनबाड़ी निर्माण पर 10 हजार की सामग्री का मूल्याकंन किया गया।

 

 

 

मौके पर मात्र 70 हजार 210 रुपये का काम पाया गया। करीब 6 लाख 76 हजार 990 रुपये का गबन तत्कालीन सरपंच- सचिव द्वारा किया गया। सरपंच एवं सचिव द्वारा 5 लाख 27 हजार रुपये का फर्जी कार्य उपयोगिता प्रमाण पत्र के जरिए दिखाया गया, जबकि वास्तविक रूप से मात्र 70 हजार रुपये का काम हुआ था। जानकारी प्राप्त होने पर अभियुक्त गण द्वारा ग्राम पंचायत के सभी अभिलेख गैर कानूनी रूप से अपने आधिपत्य में रखे गए थे। संपर्क करने के बावजूद दोनों ने भ्रष्टाचार से जुड़े दस्तावेज नहीं सौंपे थे, इसके बाद पथरोटा थाने में आरोपितों पर अपराध दर्ज कराया गया। जिसका अभियोग पत्र न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जहां से विचारण हेतु तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश इटारसी के समक्ष प्रकरण 28 नवंबर 2014 को लिया गया। न्यायालय ने आरोपित सचिव नीलेश मेहतो को दस साल का कारावास देकर उसे जेल वारंट पर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। तत्कालीन सरपंच रमेश लोखंडे अभी तक फरार है, उसके खिलाफ निर्णय सुरक्षित रखा गया है। तत्कालीन सचिव नीलेश मेहतो पुत्र सुभाष मेहतो की अग्रिम जमानत स्वीकार की गई थी, इस वजह से वह एक भी दिन जेल नहीं गया, अब उसे पूरे दस साल भ्रष्टाचार की सजा भुगतना होगी।

 

नर्मदापुरम जिले के पिपरिया शासकीय भगत सिंह कालेज के कर्मचारियों की सामूहिक आत्महत्या मामले में क्या उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए ?

View Results

Loading ... Loading ...