आशीष रावत…. कर्नाटक के मैसूर से चार हाथी आज सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व पहुंच गए है……
कर्नाटक के मैसूर हाथियों को शुक्रवार तड़के 4 बजे ट्रक से मटकुली के पास परासपानी बेरिया के पास उतारा ग़या। कर्नाटक से आएं 4 हाथियों में 2 नर, 2मादा है। जिनके नाम गजा,पूजा, मरीशा, कृष्णा है। मप्र में कर्नाटका से 15 हाथी आने है। पेंच टाइगर रिजर्व, कान्हा टाइगर रिजर्व और एसटीआर में यह हाथी आने है। पहले चरण में 4 हाथी एसटीआर में आ गए हैं।
रात में हाथी नागपुर पहुंच गए थे। हाथी छिंदवाड़ा होते हुए मटकुली पहुंचे। कर्नाटक के बंदीपुर टाइगर रिजर्व रामपुर हाथी कैंप से 4 हाथियों को लेकर एसटीआर की टीम 29 नवंबर मंगलवार दोपहर 2 बजे रवाना हुई थी। 62 घंटे में टीम ने करीब 1600 किमी का सफर तय किया है। हाथियों को लाने को लेकर एसटीआर की टीम पिछले एक महीने से जुटी है। 32 सदस्यीय टीम चार हाथियों को चार ट्रक में लेकर आ रही। ट्रकों के आगे-पीछे एसटीआर, लोकल फॉरेस्ट और पुलिस द्वारा पॉयलेटिंग की गई।एसटीआर टीम के फिल्ड डाॅयरेक्टर एल कृष्णमूर्ति, डॉक्टर गुरुदत्त शर्मा, पन्ना के डॉक्टर संजीव गुप्ता, पिपरिया डिप्टी डॉयरेक्टर आशीष कुबराबड़े, रेंजर आरपी पाठक की समेत 32 सदस्यीय टीम शामिल है। फील्ड डायरेक्टर गुरुवार दोपहर में फ्लाइड से नर्मदापुरम आ चुके है। शुक्रवार तड़के 4,5 बजे तक हाथियों को लेकर ट्रक एसटीआर पहुंच गए।
विशेष भोजन से होगी आवभगत….
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में आने वाले नये मेहमानों की आवभगत विशेष भोजन से की जाएगी। गुड, चना, गन्नाा और टिक्कड़ हाथियों को खिलाया जाएगा। हाथियों को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वातावरण में ढलने में कुछ समय लग सकता है। इसके लिए पहले उन्हें अंजनढाना के बाड़े में रखा जाएगा और फिर मढ़ई कैंप में लाया जाएगा। अब रिजर्व क्षेत्र में 10 हाथी हो जाएंगे।
प्रशिक्षण प्राप्त हैं हाथी….
कर्नाटक से जिन हाथियों को लाया गया है उनमें दो मेल हैं व दो फीमेल हैं। इनके नाम कृष्णा, पूजा, गजा, व मारिसा है। चारों हाथी विशेष प्रशिक्षण प्राप्त है। कृष्णा व गजा वन्यप्राणियों के रेस्क्यू को आसानी से कर सकने में सक्षम है। तो वहीं पूजा व मारिसा कई क्विंटल वजन को आसानी से ढो सकती है. साथ ही जंगल गश्त में भी कुशल प्रशिक्षित हैं।