देश का एक अनूठा गांव
Rajdhani desk news – बैतूल जिले का आदिवासी बाहुल्य गांव बाचा है । यह गांव सोलर विलेज के नाम से देश विदेश में मशहूर हो गया है । इस गांव में खाना पकाने से लेकर अन्य सभी ज़रूरतों के लिए 100 फीसदी सोलर एनर्जी का इस्तेमाल हो रहा है ….
बैतूल सोलर एनर्जी की वजह से ग्राम बाचा 100 फीसदी प्रदूषण मुक्त भी हो गया है । इसके साथ ही गांव के आदिवासी मिलकर जलसंरक्षण में भी जुटे हुए हैं । इससे बिजली सहित पानी की ज़रूरतों में भी बाचा गांव देश का इकलौता आत्मनिर्भर गांव बन गया है । सतपुड़ा की सुरम्य वादियों के बीच बसे बैतूल जिले के आदिवासी बाहुल्य बाचा गांव में न तो चूल्हों से निकलने वाले धुएं का प्रदूषण है , ना बिजली गुल होने का तनाव और न ही पीने के साफ पानी की कोई किल्लत । देश का ऐसा गांव है जिसे दुनिया आज सोलर विलेज के नाम से जानने लगी है । गांव में हर घर के आंगन या आसपास सोलर पैनल नज़र आते हैं । ऊर्जा की सभी ज़रूरतें यहां सौर ऊर्जा से पूरी हो रही हैं । इस आदिवासी बाहुल्य गांव के सोलर विलेज बनने की शुरुआत साल 2018 में हुई थी । इसमें पूरे गांव के लोगों ने अपना योगदान दिया ।
सौर ऊर्जा से पूरी हो रही जरूरतें …. आज गांव का हर परिवार सौर ऊर्जा से अपनी सारी ज़रूरतें पूरी कर रहा है । गांव के आसपास जंगलों में अवैध कटाई पर लगाम लगी है । गांव की महिलाएं अब लकड़ी या कोयले के चूल्हे पर नहीं बल्कि सोलर इंडक्शन चूल्हों पर मिनटों में खाना पका लेती हैं । सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से प्रदूषण नहीं होता और गाँव में स्वच्छ वातावरण दिखाई देता है । ग्राम बाचा को देखने देश विदेश से लोग आ रहे हैं । सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के अलावा गांव में सभी घरों के सामने ऐसी जलसंरचनाएं बनाई गई हैं जिससे पानी की एक बूंद को भी सहेज लिया जाए । गांव के लोगों ने ये साबित कर दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से कुछ भी असम्भव नहीं है । अगर सभी मिलकर प्रयास करें तो दुनिया को प्रदूषण ,बिजली और पानी की समस्याओं से बाहर निकाला जा सकता है ।