टी जैन रायपुर – छत्तीसगढ़ की सहकारी बैंकों पर अब राज्य सरकार की नजर पड़ गई है , सहकारी बैंकों में लम्बे समय से हो रहे भरस्टाचार की अब राज्य सरकार जाँच कराने जा रही हैं , भूपेश सरकार अब सहकारी बैंकों की फाइलें खंगालेगी …
रायपुर . राज्य के सहकारी बैंक भी अब राज्य सरकार की जांच के दायरे में आ गए हैं। करोड़ों रुपए की अनियमितता के संदेह में जिला सहकारी बैंकों के खिलाफ जांच और कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसी कड़ी में राज्य सहकारी संस्थाओं के पंजीयक ने राजनांदगांव जिला सहकारी बैंक के संचालक मंडल को भंग करने का नोटिस जारी किया है। बैंक के संचालन का जिम्मा कलेक्टर को सौंपा गया है। संचालक मंडल को जवाब देने के लिए 31 जुलाई को बुलाया गया है। बैंक के अध्यक्ष सचिन सिंह बघेल हैं जो पूर्व सीएम रमन सिंह के करीबी रिश्तेदार हैं। जानकारी के मुताबिक जिला सहकारी बैंक राजनांदगांव के संचालक मंडल द्वारा पिछले कई साल से नियमों की अनदेखी कर संचालन किया जा रहा था।लगातार वित्तीय अनियमितता के कारण बैंक के अलग-अलग सहकारी समितियों के कारण करोड़ों का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ा है। पंजीयक ने जांच में पाया कि बैंक द्वारा की गई कार्रवाई में विलंब के कारण बैंक पर 80 लाख रुपए से ज्यादा का ब्याज देना पड़ रहा है। इसी तरह आरबीआई की गाइडलाइन का उल्लंघन कर सीईओ के पद पर बैंक के शाखा प्रबंधक को बैठाया गया था जो कि इसके पात्र नहीं था।
इस तरह से की गईं अनियमितताएं :
बैंक प्रबंधक पर प्रभाटोला समिति में 95 हजार रुपए के गबन का आरोप साबित हुआ था। लेकिन कानूनी कार्रवाई के बजाए उनके द्वारा पैसा जमा करने के बाद मामला रफा-दफा कर दिया गया । इसी तरह दशरंगपुर के समिति प्रबंधक पर 11 लाख रुपए के धान की हेराफेरी का आरोप लगा था। उनके खिलाफ भी एफआईआर नहीं करवाई गई । रणजीतपुर के समिति प्रबंधक पर 7 लाख 95 हजार आैर 22 लाख 35 हजार रुपए की अनियमितता के आरोप थे। जून 2016 में समिति प्रबंधक की मौत हो गई। उनके वारिशों को राशि जमान करने की नोटिस दी गई। इसी तरह डेढ़ लाख रुपए के फर्जी विड्राल के आरोपी को भी पैसा जमा न करने का नोटिस जारी किया गया।
हजारों किसानों को ऋणमाफी से वंचित करने का मामला : जांच में यह भी पाया गया कि बैंक द्वारा अल्पकालीन कृषि ऋण माफी योजना पर भी गंभीरता से काम नहीं किया गया। इससे हजारों किसानों को ऋणमाफी लाभ से वंचित होना पड़ा। साथ ही उन्हें खरीफ के लिए नया ऋण नहीं मिला। जांच में यह भी पाया गया कि प्रबंधन की उपेक्षाआें के कारण बैंक पर कुल 2 करोड़ 98 लाख रुपए का अतिरिक्त भार आया है ।