आशीष रावत…..क्रिकेट प्रेमियों का सबसे पंसदीदा गेम है तो वो है इस समय आई पी एल , इस खेल में कुछ ऐसे गिरोह भी सक्रीय है जो इसे एक खेल नहीं कमाई का जरिया मानते हुए युवा पीढ़ी को जुएं की लत में डाल रहे हैं , एक तरफ जहाँ केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार इस सट्टे पर अंकुश लगाने के भरसक प्रयास करती है पर इस समय एक बड़ा सिंडिकेट हाईटेक तरीके से इस कारोबार को ऑपरेट करने में लगा है …
भोपाल मप्र में इन दिनों सट्टे का कारोबार हाईटेक हो चला है , प्रदेश में एक बड़ा सिंडिकेट आई पी एल के बहाने सट्टे का अवैध कारोबार करने में व्यस्त है । इस खेल में सटोरिये अब हाईटेक हो चले हैं । सटोरिये अब मोबाईल की एप के जरिये इस खेल में युवा पीढ़ी को बर्बाद करने पे उतारू है । एक बड़ा सिंडिकेट अलग अलग मोबाईल एप्लिकेशन के जरिये आई पी एल सट्टे को खिला रहे हैं । प्रदेश के ग्रह मंत्री भी सट्टे के इस ऑनलाइन गेम पर पाबंदी लगाने की बात कह चुके हैं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है । प्रदेश में आये दिन आई पी एल के सट्टे में लिप्त छूट भैया पर कार्यवाही देखने को जरूर मिल जाती है पर बड़े खाई बाज अब भी पुलिस की रडार से बाहर हैं ।
युवा हो रहे बर्बाद –
आई पी एल में मोबाईल एप के जरिये एक खाता बनाकर उसे अकाउंट में राशि डालकर युवा इस खेल में जीत हार पर दांव लगा रहे हैं । इस खेल में युवाओं को कम खाईबाजों को ज्यादा फायदा होता है ।
महानगरों से लेकर कस्बो तक जुड़े हैं तार –
प्रदेश में हाईटेक ऑनलाइन मोबाईल एप्लिकेशन के जरिये सिंडिकेट इस सट्टे के कारोबार को महानगरों से लेकर छोटे कस्बों तक ऑपरेट कर रहे हैं । ख़ास बात ये है कि इस गेम को खेलने के लिए आपको बस एक ऑनलइन एकाउंट बनाना है और उस एकाउंट में राशि डालकर इसे खेला जा सकता है । इंदौर भोपाल जबलपुर से लेकर जिलों के छोटे छोटे कसबे तक इन खाईबाजों की जद में है । सूत्रों के मुताबिक सिंडिकेट के तार राजधानी भोपाल से लेकर नर्मदापुरम के पिपरिया से तक जुड़े है । सूत्रों के मुताबिक इस खेल के सिंडिकेट में कुछ ऐसे भी नाम दबी जुबान से सामने आ रहे हैं जो सत्ता से लेकर शासन के कर्मचारियों की भी संलिप्त्ता को बताते हैं । ये अलग बात है कि अब तक ऐसे चेहरे पुलिस की नजर से बचे हैं ।
पुलिस को होना होगा हाईटेक –
मप्र पुलिस आये दिन प्रदेश के अलग अलग जिलों में छूट भैया खाईबाजों के पंटरों पर कार्यवाही कर वाह वाही लुटती है पर एक बड़े सिंडिकेट तक पुलिस के हाथ नहीं पहुँच पा रहे हैं । बरहाल पुलिस को साइबर सेल की मदद लेकर इन एप्स के आई पी एड्रेस के जरिये बड़े खाईबाजों को दबोचना चाहिए ।