राहुल शर्मा उज्जैन ब्यूरो – भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सम्पूर्ण शिक्षा और ज्ञान संदीपनि आश्रम उज्जैन में ही गुरू संदीपनि से प्राप्त किया था …
भगवान श्री कृष्ण, बलराम और उनके मित्र सुदामा ने इसी आश्रम में कुलगुरु सांदीपनि से शास्त्रों और वेदों का ज्ञान लिया था । इसीलिए संदीपनि आश्रम को श्री कृष्ण की विद्या अध्ययन स्थली के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण लगभग 5500 वर्ष पूर्व द्वापर युग में यहां आए थे । भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिनों के अल्प समय में सम्पूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी। उसका विवरण इस प्रकार है। 18 दिनों में 18 पुराण, 4 दिनों में 4 वेद, 6 दिनों में 6 शास्त्र, 16 दिनों में 16 कलाएं, 20 दिनों में गीता का ज्ञान उसके साथ ही गुरु दक्षिणा और गुरु सेवा की थी । आश्रम में जहां गुरू संदीपनि बैठते थे वहां उनकी प्रतिमा और चरण पादुकाएं स्थापित हैं । भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिनों के अल्प समय में सम्पूर्ण शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण कर ली थी। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सम्पूर्ण शिक्षा और ज्ञान संदीपनि आश्रम में ही गुरू संदीपनि से प्राप्त किया था । उज्जैन स्थित महर्षि संदीपनि आश्रम जो ऋषि सांदीपनि की तप स्थली है। यहां महर्षि ने घोर तपस्या की थी । इसी स्थान पर महर्षि संदीपनि ने वेद-पुराण शास्त्रादि की शिक्षा के लिए आश्रम का निर्माण करवाया था । श्री कृष्ण जन्म अष्टमी की देर रात संदीपनि आश्रम में देर रात 12 बजे आरती की जाती है । दरअसल, दुनिया भर से संदीपनी आश्रम में श्रद्धालु आते हैं और श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में दर्शन करते हैं । जन्म अष्टमी पर देश भर में धूम मचती है और इसी दिन श्री कृष्ण मंदिर को सजाया जाता है । उज्जैन शहर में भी तीन बड़े कृष्ण मंदिर हैं । पहला संदीपनि आश्रम जहां भगवान कृष्ण ने गुरू संदीपनी से ज्ञान अर्जित किया था । अपने सखा सुदामा और भाई बलराम के साथ उज्जैन में रहे थे । दूसरा मंदिर गोपाल मंदिर है । इस मंदिर की देखभाल सिंधिया राज घराना करता है और तीसरा अन्तराष्ट्रीय संस्था का इस्कॉन मंदिर है । तीनों ही जगह बड़े धूम धाम से कृष्ण जन्म अष्टमी मनाई जाती है ।