आशीष रावत…..उज्जैन शहर में सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट के प्रसिद्ध गोपाल मंदिर में रविवार-सोमवार की दरमियनी रात 12 बजे हरि हर मिलन हुआ हर भगवान महाकाल ने हरि द्वारकाधीश गोपालजी का सृष्टि का भार सौंपा…..

कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी (बैकुंठ चतुर्दशी) यानी रविवार-सोमवार की रात महाकाल की सवारी को गोपाल मंदिर तक ले जाया गया. यहां बाबा महाकाल और द्वारिकाधीश एक-दूसरे को बिल्व पत्र की माला पहनाई गई और बाबा भोले नाथ ने भगवान विष्णु को अगले 8 माह के लिए सृष्टि का भार सौंपा। । इससे पहले देवशयनी एकादशी के बाद से 4 महीने तक भगवान शिव सृष्टि संभाल रहे थे। रास्ते भर में कलर व फूलों की अद्भुत रंगोली से मार्ग को सुसज्जित किया गया. तोप घुड़ सवार, ढोल, नगाड़े, पुलिस बैंड ने बाबा महाकाल की अगुवाई की। बाबा महाकाल पटनी बाजार होते हुए द्वारकाधीश के धाम पहुंचे और दो घंटे के पुजन अभिषेक के बाद बाबा रात 1:30 बजे फिर मंदिर लौटे। मान्यता है बाबा महाकाल कृष्ण रूप में विराजमान भगवान विष्णु कों 8 माह के लिए श्रष्टि का भार सौंप पाताल लोक साधना के लिए चले जाते हैं. भगवान शिव विष्णु को श्रष्टि का भार सौंपते वक़्त बेल पत्र की माला पहनाते है और भगवान विष्णु शिव को तुलसी की माला पहनाते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार देव शयनी एकादशी पर भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में सौंपकर राजा बलि का आत्थिय स्वीकारते हुए पाताल लोक चले जाते हैं। चातुर्मास के चार माह भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। देव प्रबोधिनी एकादशी पर देव शक्ति जागृत होती तथा चातुर्मास का समापन हो जाता है और भगवान विष्णु अपने लोक लौट आते हैं। इसके बाद वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव पुनः सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंपने जाते हैं। धर्मकथा का यह प्रसंग प्रतिवर्ष धर्मधानी के गोपाल मंदिर में जीवंत होता है।

रविवार-सोमवार की दरमियानी रात गोपाल मंदिर में होने वाले हरि हर मिलन के बाद सोमवार तड़के 4 बजे महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दौरान भी हरि हर मिलन हुआ। पुजारी मंदिर परिसर स्थित साक्षी गोपाल मंदिर से झांझ डमरू की मंगल ध्वनि के साथ गोपालजी को मंदिर के गर्भगृह में लेकर आए यहां भगवान महाकाल के सम्मुख गोपालजी को विराजित कर हरि हर मिलन कराया गया।