नरसिहपुर में अब जोड़ों का प्रत्यारोपण हो सकेगा

अब नरसिंहपुर नगर में भी जोड़ों का प्रत्यारोपण हो सकेगा , अभी जाना पड़ता था महानगरों में , डॉक्टर विकास सावला ने दी जानकारी

अलोक सिंह नरसिहपुर ब्यूरो – अपने 11 वर्ष के कैरियर में सफलतापूर्वक 7000 से अधिक जोड़ प्रत्यारोपण करने वाले डॉक्टर विकास सावला ने बुधवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि अब नरसिंहपुर नगर में भी जोड़ों का प्रत्यारोपण आरंभ हो जाएगा । इसके पहले मरीजों को जोड़ों की सर्जरी के लिए जबलपुर, नागपुर, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई सहित अन्य महानगरों में जाना पड़ता था। उन्होंने बताया कि हाल ही में मैंने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हंसराज के हॉस्पिटल में एक 22 वर्षीय युवक के कूल्हे के जोड़ का प्रत्यारोपण किया है। पहले जो युवक अत्याधिक दर्द के कारण करवट तक नहीं बदल पाता था, मुझे उम्मीद है कि अब वह कुछ ही दिनों में दौडऩे लगेगा। ऐसे अनेक लोगों के उदाहरण बताये।

मध्य प्रदेश के दतिया निवासी डॉक्टर सावला ने एमबीबीएस करने के बाद लंबे वक्त तक गुजरात के प्रसिद्ध सेल्वी हॉस्पिटल अहमदाबाद में अपनी सेवाएं दी। यहां इनके द्वारा की गई हड्डियों व जोड़ो की अनगिनत सर्जरी से जब हजारों मरीज ठीक हुए तो उनके प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा और वे खुद भी आत्मविश्वास से लवरेज हो गए।
डॉक्टर विकास सावला ने बताया कि अब वे जबलपुर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जहां उनके द्वारा सैकडों सफल ऑपरेशन किए जा चुके हैं इनमें एक ऐसी सर्जरी भी शामिल है जिसमें एक 25 वर्षीय महिला के दोनों घुटनों को बदल दिया गया। संभवत यह मध्य प्रदेश की पहली ऐसी सर्जरी है जिसमें दोनों घुटनों का प्रत्यारोपण किया गया। जबलपुर आने के बाद उनके अनुभव का लाभ नरसिंहपुर जिले को भी मिलने लगा है जहां आने के लिए उन्होंने माह के कुछ दिन निर्धारित किए हैं।

डॉक्टर सालवी ने बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में आई आधुनिकता व तकनीकी असाध्य रोगों को भी ठीक कर रही है। पहले लोगों को सर्जरी पर भरोसा नहीं रहता था उन्हें लगता था कि ऑपरेशन होने के बाद कहीं उनके अंग ही काम करना बंद ना कर दे लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि जोड़ों की समस्या से निजात दिलाने के लिए किए जाने वाले ऑपरेशन में मैं अधिक से अधिक 25 से &0 मिनट लूंगा और कोशिश होगी उसी दिन पेशेंट चलना शुरू कर दे ओर तीन चार के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया जाता है ।
कब करायेंं जोड़ प्रत्यारोपण

आपने घुटने की तकलीफ से हमेशा के लिए निजात पाने के लिए आपरेशन को ही कारगर बताया। साथ ही व्यायाम, खानपान पर ध्यान देने की जरूरत बताते हुए वजन न बढऩे देने की सलाह भी दी। यह पूछे जाने पर की कब जोड़ प्रत्यारोपण कराना जरूरी हो जाता है। इस पर डॉ. विकास सावलाने बताया कि दर्द ओर जकडऩ की स्थिति, चलने फिरने में तकलीफ, पैरों का तिरक्षापन,हडड्ी क्षतिग्रस्त हो जाए एंव जब नॉन सर्जिकल उपचार विफल हो जाए। उक्त मौके पर डा भानू पटैल, डा मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे।