तुलसी (Basil) भारत में पवित्र पौधे के रूप में प्रसिद्ध है। यह झाड़ीनुमा पौधा है जिसमें शाखाएं खास तरह की सुगंध वाली होती है। वैदिक युग से इस पौधे के औषधीय गुणों की बात की जाती रही है। इस पौधे की पत्तियां और बीज दोनों ही औषधीय गुण रखते हैं इसलिए तुलसी के बीज का महत्त्व इसकी पत्तियों के समान ही होता है | तुलसी के पौधे की पत्तियां विषाणु द्वारा पैदा की जाने वाले कई तरह के वायरल बुखार में उपयोगी होती है।
तुलसी की जानकारी और एक संक्षिप्त परिचय – यह वैज्ञानिक तथ्य है कि इस पृथ्वी पर मनुष्य के आने से पहले विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ पनप चुकी थीं, यानी हरियाली आ चुकी थी। संसार में अनगिनत वनस्पतियाँ हैं एक-से-एक आश्चर्यजनक, रोमांचकारी एवं सेहत के लिए फायदेमंद | बहुत सारे पेड़ पौधों के गुण दोषों का पीढ़ी-दर-पीढ़ी रिसर्च करके उनके बारे में लिखा गया है और उनके औषधीय गुणों को मनुष्य के फायदे के लिए उपयोग करने की विधियाँ भी बताई गई हैं ।
विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों में एक सबसे शक्तिशाली वनस्पति में से एक है “तुलसी”। विभिन्न देशो के वनस्पति के जानकारों ने इसे अनेक नामो से संबोधित किया है जैसे तुलसी का गुणगान वैदिक काल से लेकर आज तक चला आ रहा है | भारत में तुलसी की खेती का लगभग 5000 साल पुराना इतिहास है। विभिन्न मल्टी नेशनल कम्पनियां अपने उत्पादों में तुलसी के उपयोग बेहिचक कर रहीं हैं | तुलसी सचमुच प्रकृति द्वारा दिया गया एक अमृत है। यह एकमात्र ऐसा पौधा है जिससे रोगनाशक गुण आसपास के वातावरण में लगातार अपने आप फैलते रहते है। इस कारण इसके पास खड़े होने, छूने, रोपने, पानी चढ़ाने में रोगों के प्रभाव से बचाव हो जाता है। यही कारण है कि हमारे यहाँ हर घर के आँगन में तुलसी का गमला रखने की प्रथा और व्यवस्था है। तुलसी की लकड़ी, छाल, पत्तियाँ, फल-फूल, जड़ आदि सभी मनुष्य के लिए उपयोगी हैं। हमें स्वस्थ एवं सुखी जीवन के लिए इनकी उपयोगिता एवं वैज्ञानिकता को समझना चाहिए | वैज्ञानिकों के अनुसंधान ने इसे प्रमाणित कर दिया कि तुलसी के साथ जो भी धार्मिक क्रियाएँ की जाती हैं, वे सभी विज्ञान सम्मत हैं-यानी इससे जुडी जो भी रस्म रिवाज जितनी धार्मिक है उतनी ही सेहत की द्रष्टि से उपयोगी भी है। वैज्ञानिकों ने माना कि तुलसी का तेल क्षयरोग (टी.बी ) के कीटाणुओं को नष्ट करता है।
अनेक परीक्षणों के उपरांत यह भी निष्कर्ष निकला है कि मलेरिया की सबसे अच्छी दवा तुलसी द्वारा उपचार है। आँतों की सफाई के लिए तुलसी का रस (पत्तियाँ चबाकर खाना) सबसे अच्छा उपाय है। इसके रस के द्वारा आँतों में जमे कीटाणु मर जाते हैं। तुलसी अलग-अलग प्रकार के स्त्री रोगों में अत्यंत गुणकारी है। खुजली, भारीपन, सीने में दर्द, स्तन-पीड़ा में लाभदायक है। तुलसी का काढ़ा बनाकर गठिया के रोगी को उसकी भाप दी गई तो उससे आश्चर्य जनक लाभ हुआ है ।
सब्जी व दाल आदि में यदि तेज पत्ते के स्थान पर तुलसी का रस डाल दिया जाए तो स्वाद बढने के साथ ही साथ आँखों की रोशनी भी बढती है | आयुर्वेद में तुलसी के इस्तमाल के लिए कई विधियाँ बताई गई हैं। जैसे कार्तिक माह में तुलसी के पत्तों का प्रात:काल बिना कुछ खाए पिए सेवन करने से पूरे साल किसी प्रकार का कोई रोग नहीं होगा। तुलसी के पत्ते चबाने से दाँतों में कीड़े नहीं लगते। दाँत मजबूत, चमकदार होते हैं तथा उनकी उम्र भी बढ़ जाती है। तुलसी के रस का उपयोग करने पर, उबटन जैसी मालिश करने पर हड्डियाँ मजबूत बनती हैं एवं त्वचा में चमक बढती है।
बारिश के मौसम में, जब सर्दी, बुखार और डेंगू जैसी बीमारियों के संक्रमण फैलते हैं, इसकी पत्तियों का काढ़ा नियमित रूप से पीना शरीर को इन संक्रमणों से बचाता है। बुखार अधिक होने की स्थिति में मरीज़ को तुलसी की पत्तियों को दालचीनी के पाउडर के साथ आधा लीटर पानी में उबालना चाहिए और उसमें गुड़ और थोड़ा दूध मिलाकर मरीज को पिलाना चाहिए। इससे बुखार की तेजी से कम हो जाता है।
बुखार के उपचार के लिए एक ग्राम तुलसी की पत्तियों को थोड़े अदरक के साथ आधा लीटर पानी में इतना उबालना चाहिए कि पानी की मात्रा घटकर आधी रह जाए तब इस काढ़े को चाय की तरह पीना चाहिए। तुलसी की पत्तियाँ कफ से होने वाली गले की खराबी को ठीक करने में भी लाभदायक होती हैं। तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी को पीने और उससे गरारे करने से गला ठीक हो जाता है।
सिरदर्द होने पर तुलसी का रस और कपूर (Camphor) मिलाकर लगाए जल्दी ही सिरदर्द से मुक्ति मिलेगी |
खाँसी, जुकाम के लिए तुलसी का अन्य नुस्खा –10 पत्ते तुलसी के तथा 4 लौंग लेकर एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा शेष बचे, तब थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर गर्म चाय की तरह पी जायें। यह काढ़ा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढ़कर पसीना लें। इस काढ़े को दिन में दो बार तीन दिन तक पियें।
तुलसी के रस में काली मिर्च मिलाकर किसी कांच की बोतल में हवा पास होने के लिए ढक्कन में छेद हो, अपने सोने वाले कमरे में रखें मानसिक शांति मिलेगी तथा अन्य बीमारियों से भी बचाव होगा |
अगर आप कम नींद आने यानि अनिंद्रा से पीड़ित है तो तुलसी के पत्ते और अजवायन किसी कपड़े में रखकर पोटली बनाकर अपने तकिये के नीचे रखकर सोयें |
तुलसी का रस या तेल की एक दो बूंदे नाक से सूंघने से मस्तिष्क में तरावट आती है |
तुलसी के पत्ते पानी में मिलाने से पानी की अशुद्धि दूर होती है |
दिमाग को ठंडक पहुचाने के लिए तुलसी के पत्ते के फायदे – मस्तिष्क की तरावट के लिए गर्मी के मौसम में हर रोज आधा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, 1 चम्मच शुद्ध देशी घी तथा एक चम्मच शक्कर का चूरा इन तीनों को मिलाकर सुबह के समय लेने से मस्तिष्क में तरावट आ जाती है, मेमोरी यानि याददाश्त तेज हो जाती है। बाल काले होते हैं और आँखों की रौशनी तेज हो जाती हैं |
श्यामा तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस आंखों में डालने से आँखों का पीलापन , लाली और रतौंधी ठीक हो जाती है इसके अलावा तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख का infection जिसमे आंखे चिपचिपी हो जाती है ठीक हो जाता है |
तुलसी के रस से पेट के कीड़े, उल्टी, हिचकी, भूख अच्छी लगना, लीवर की कार्यशक्ति बढ़ाना, ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम करना, पेट की गैस , दस्त, कोलाइटिस, कमर दर्द, जुकाम, सिरदर्द, बच्चों के रोग, हृदय रोग आदि सभी बिमारियों में लाभ होता है। आधा चम्मच रस या दस पत्ते तुलसी के रोजाना लें।
खाँसी – तुलसी के 25 पत्ते, 10 काली मिर्च मोटी पीसी हुई 200 मि.ली पानी में डालकर इतना उबालें कि 150 मी.ली ही पानी बच जाये। इसे ठण्डा कर छान कर एक बोतल में भर लें। इसकी तीन-तीन चम्मच रोजाना तीन बार पियें। खाँसी ठीक हो जायेगी। पुरानी खाँसी जो किसी भी तरह ठीक नहीं होती, वह भी ठीक हो जायेगी।
तुलसी की पत्तियों के एक चम्मच रस में एक चम्मच नीबू का रस मिलायें तथा इसे एग्जीमा तथा खाज-खुजली के स्थान पर लगायें। जल्द ही आराम मिलेगा |
तुलसी अर्क के फायदे भी अनेको हैं , इसका अर्क निकालने के लिए इनकी पत्तियों को गर्म पानी के ड्रम में डालकर वाष्प के जरिए अर्क निकालकर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण से अलग-अलग बीमारियों में उपचार के लिए तैयार किया जाता हैं। यह अर्क ब्लड कॉलेस्ट्रोल, एसिडिटी, पेचिस, कोलाइटिस, स्नायु दर्द, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, उल्टी-दस्त, कफ, चेहरे की क्रांति में निखार, मुंहासे, सफेद दाग, कुष्ठ रोग, मोटापा कम, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, मलेरिया, खांसी, दाद, खुजली, गठिया, दमा, मरोड़, आंख का दर्द, पथरी, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, पायरिया, शुगर, मूत्र संबंधी रोग आदि रोगों में फायदेमंद है |
अगर आपको बदहजमी है तो तुलसी का रस, अदरक का रस एक-एक चम्मच थोड़ी सी काली मिर्च और आधा चम्मच सेंधा नमक लेकर पानी के साथ लें इससे गैस बदहजमी दोनों ही दूर हो जायेंगे | यह भी पढ़ें – पेट की गैस की रामबाण दवा तथा अचूक आयुर्वेदिक इलाज
स्वास्थ्य वर्धक – केन्द्रीय सुगंध पौध अनुसंधान संस्थान (सीमैन) लखनऊ में विशेषज्ञों ने तुलसी की एक विशेष प्रजाति ओसिमम सेंकट्म से चाय तैयार की है। इस चाय में एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं। खासकर शरीर में खून साफ़ करने में विशेष रूप से सक्षम है। सीमैन के वैज्ञानिकों ने चाय के क्लिनिकल ट्रायल भी किये हैं और दावा किया है कि यह स्वास्थ्यवर्धक चाय साबित होगी जिससे ताजगी, स्फूर्ति और ऊर्जा प्राप्त होगी और यह किसी भी दुष्प्रभाव से रहित होगी।
चाय – तुलसी की 10 हरी पत्तियाँ एक कप पानी में डाल कर उबालकर छानकर पियें। चाहें तो स्वाद के लिए चीनी डाल सकते हैं। तुलसी की हरी पत्तियों को सुखाकर पीसकर पाउडर बना कर भी रखा जा सकता है। इसे चाय में डालकर भी पिया जा सकता है।
तुलसी का शक्ति वर्धक टॉनिक – 30 तुलसी की साफ पत्तियाँ पीसकर 20 ग्राम दही जो खट्टा न हो या एक-दो चम्मच शहद के साथ सेवन करें। इसके पश्चात् दो घंटे तक आगे-पीछे कुछ न खायें-पियें।
तुलसी के बीज का उपयोग – सोते समय 5 ग्राम तुलसी के बीज गर्म दूध के साथ लेने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है |
महिलाओं के पीरियड्स में अनियमितता और पीरियड्स के दर्द को दूर करने में भी तुलसी के बहुत लाभ है इसके लिए तुलसी के पत्तो को गर्म पानी में उबालकर एक चम्मच शहद दिन में तीन बार लें इससे शरीर का इम्म्युन भी मजबूत होगा | सिर्फ तुलसी के पत्तों के सेवन से या तुलसी के दस बीज पानी में उबालकर पीने से भी मासिक चक्र नियमित किया जा सकता है |
तुलसी के बीज का औषधीय उपयोग आजकल बहुत सारे आधुनिक उत्पादों में भी हो रहा है | और हर्बल प्रोडक्ट में तो शायद ही कोई ऐसा प्रोडक्ट हो जिसमे तुलसी का उपयोग कम या ज्यादा मात्रा में ना होता हो |
सांस की बदबू को दूर करने में भी तुलसी के पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं और नेचुरल होने की वजह से इसका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता है | अगर आपके मुंह से बदबू आ रही हो तो तुलसी के कुछ पत्तों को चबा लें |
अगर आपको कहीं चोट लग गई हो तो तुलसी के पत्ते को फिटकरी के साथ मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है क्योंकि तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो घाव को पकने नहीं देता है | इसके अलावा तुलसी के पत्ते को तेल में मिलाकर लगाने से जलन भी कम होती है | जानिए बेल के जूस को पीने के फायदे तथा बेलपत्र रस के औषधीय गुण
तुलसी का पेस्ट लगाने से कील-मुहांसे खत्म हो जाते हैं और चेहरा साफ होता है |
तुलसी के प्रकार हैं – श्याम तुलसी, राम तुलसी, श्वेत/विष्णु तुलसी, वन तुलसी, नींबू तुलसी|