जैन छत्तीसगढ़ ब्यूरो – बालोद छत्तीसगढ़ी में एक कहावत हैं कि “घुरवा के दिन भी हा फिरते”। इस कहावत को सच कर दिखाया है गुंडरदेही विधानसभा के नवनिर्वाचित कांग्रेसी विधायक कुंवर सिंह निषाद ने। इस विधानसभा चुनाव में छतीसगढ़ में परिवर्तन की ऐसी आंधी चली की अपनी माँ के हाथों की चूल्हे से बनी रोटी खाकर, तालाबों व नहरों से मछलीयों को पकड़कर बेच अपना जीवन यापन करने वाला गरीब परिवार का बेटा विधायक बन गया। जीत भी ऐसी की उसका आंकड़ा इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया। गुंडरदेही के नवनिर्वाचित विधायक के बारे में हम आज आपको बताने वाले हैं जिनकी सादगी के आप भी दीवाने हो जाएंगे। बालोद जिले के गुंडरदेही विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह निषाद ने जिले में इतिहास रचा है। रिकार्ड मतों से उन्होंने विजय हासिल तो की ही, साथ ही खर्च भी उनका बेहद कम रहा। बता दें कि वे गरीब परिवार से आते हैं। उनको लोगों ने काफी सहयोग किया। लोगों ने उन्हें चंदा देकर जीत दिलाई। आपसी सहयोग से पैसे एकत्रित कर कुंवर निषाद चुनावी मैदान में उतरे थे…निषाद की आर्थिक स्थिती ठीक नहीं थी… गौरतलब हो कि कुंवर सिंह निषाद एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। नवनिर्वाचित विधायक कुंवर सिंह निषाद एक कच्चे मकान में रहते हैं। कुंवर सिंह निषाद एवं उनका परिवारजनों का प्रमुख व्यवसाय मछली पालन करना हैं। जो तालाबों एवं नहरों से मछलियों को पकड़ उन्हें बाजारों में बेचा करते हैं। आपको बता दें कि गुंडरदेही विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह निषाद का नाम जब सामने आया तो भाजपा तो दूर खुद कांग्रेस में अंतर्कलह मच गई थी। उन्हें समर्थन न देने की बात कांग्रेस के नेता कर रहे थे लेकिन अब जब उनकी जीत हो चुकी है और वो विधायक बन चुके है तो अब सभी लोगों के मुंह बंद हो गए हैं। कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहली बार विधायकी का ताज पहनने वाले नव-निर्वाचित विधायक कुंवर निषाद की इस जीत ने साबित कर दिया कि जनता जनार्दन के राज में वही सत्ता के सिंहासन पर बैठेगा जो लोगों के हित में काम करेगा। कुंवर निषाद भले ही गरीब परिवार से संबंध रखते हों लेकिन उनकी सोच और क्षेत्र की जनता के प्रति उनके विश्वास ने उन्हें जो जीत दिलाई है उससे लगता है कि वो जनता की सभी उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरेंगे।