रायपुर छत्तीसगढ़ में मतदान खत्म होने के बाद अब नतीजों को लेकर अटकलबाजी का दौर चल रहा है। पत्रकार होने के नाते परिचितों की ओर से मुझसे पूछा जाने वाला सबसे उभयनिष्ठ सवाल यही है कि- छत्तीसगढ़ में किसकी सरकार बन रही है ?
इस सवाल में ‘आकलन’ से ज्यादा ‘आकांक्षा’ की चाह छिपी होती है। इस सवाल का सर्वसुखदायी जवाब ये है कि अगर आप भाजपा के समर्थक हैं तो छत्तीसगढ़ में चौथी बार कमल खिलने वाला है और अगर कांग्रेस समर्थक हैं तो कांग्रेस को अबकी बार सत्ता में वापसी करने से कोई रोक नहीं सकता।
सत्ता परिवर्तन को लेकर कांग्रेसी इस कदर आश्वस्त हैं कि उन्होंने भावी मंत्रिमंडल के स्वरूप पर चर्चा शुरू कर दी है। कुछ तो दो कदम आगे बढ़कर विधानसभा में भाजपा के नेता प्रतिपक्ष का नाम तक तलाशने में जुट गए हैं। कांग्रेसियों के दावे पर यकीन करें तो उसके प्रचार की टैग लाइन ‘वक्त है बदलाव का’ अपना काम कर गई है।
इधर भाजपा भी छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के दावे को कांग्रेस का मुगालता बता कर अपनी चौथी पारी के प्रति आश्वस्त है। सट्टा बाजार का भाव भी भाजपा के दिलासे को मजबूत बना रहा है।
अतिआशावाद को दरकिनार करके मिल रहे संकेतों को आकलन की कसौटी पर कसें तो वास्तविकता वही है जो इस पोस्ट का शीर्षक है – छत्तीसगढ़ में चुनाव फंस चुका है । अलग-अलग स्रोतों से प्रदेश की एक-एक सीट के बारे में हासिल हुई जानकारी का निचोड़ ये है कि करीब 35 से 40 सीटें ऐसी हैं जिन पर कांग्रेस आसानी से अपना कब्जा जमा रही है। वहीं भाजपा थोड़ा पीछे रहकर करीब 25 से 30 सीटों पर पुख्ता जीत हासिल करती दिख रही है। लेकिन भाजपा के इस पिछड़ेपन की भरपाई उन सीटों से हो सकती है जहां जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और बसपा गठबंधन अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा रही है। करीब 10-12 सीटों पर जोगी कांग्रेस और बसपा गठबंधन कड़ी चुनौती पेश कर रहा है। इनमें से 2 से 3 सीटें गठबंधन के खाते में जाने का अनुमान है। वोटों के गणितज्ञों का दावा है कि जिन सीटों पर जोगी कांग्रेस और बसपा गठबंधन मुकाबले में है उनमे से 7-8 सीटों पर वो कांग्रेस को नुकसान पहुंचा कर भाजपा की सीटों की संख्या में इजाफा करने में मददगार साबित होगा। यानी अटकलबाजी की अंतिम तस्वीर ये उभरती है करीब 35 से 40 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस अपना-अपना कब्जा जमा रहीं हैं। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अलावा एकाध सीट निर्दलीय के खाते में भी जाती दिख रही है।
कुल मिलाकर जीत की संभावना की भरपूर रियायत लेते हुए प्रदेश की 90 सीटों का भाजपा, कांग्रेस और अन्य के बीच बंटबारा करने के बाद 15 से 20 सीटें ऐसी बचती हैं, जो कड़े मुकाबले में फंस गई है। इन्हीं 15 से 20 सीटों की हार-जीत से छत्तीसगढ़ की नई सरकार का निर्धारण होना है ।
एक फीसदी से भी कम मार्जिन से सरकार बनाने वाले छत्तीसगढ़ में हर बार मुकाबला 20-20 मैच की तरह रोचक और रोमांचक होता आया है । इस बार भी मैच आखिरी ओवर तक खिंचने वाला है। अब रमन चौका मार पाते हैं या बोल्ड होते हैं येे तो खैर 11 दिसंबर को मतगणना के दिन ही पता चल पाएगा । फिलहाल तब तक अगर ये हो गया तो ऐसा होगा और अगर वो हो गया तो वैसा होगा की अटकलबाजी का आनंद लेने में कोई बुराई तो है नहीं । वरिष्ठ पत्रकार सौरभ तिवारी की फेसबुक से साभार …..