सालों से जमे परिवहन विभाग के अधिकारी

संजय दुबे – सीधी में हुए बस हादसे में करीब 50 से ज्यादा निर्दोष लोगों ने अपनी जान गवा दी , वही अब प्रदेश के मुखिया ने सख्ती दिखाते हुए कई अधिकारीयों को हटा दिया है , पर सवाल अब भी बरकरार हैं आखिर किसकी गलतियों से ऐसे हादसे होते हैं , क्या घटना के बाद कार्यवाही कर इति श्री हो जाती है …

सीधी में हुए बस हादसे में 50 से ज्यादा निर्दोष लोगों ने अपनी जाने गवा दी । बस हादसे के बाद हरकत में आये मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई अधिकारीयों को नापते हुए परिवहन विभाग से ही पूछ लिया कि आखिर किस कानून में लिखा है कि छमता से ज्यादा सवारियां बिठाई जाए । मृतकों के परिजनों को मुआवजा भी दिया गया । पर अब भी सवाल जस का तस है आखिर क्यों इस तरह के हादसे होते हैं आखिर क्या वजह है जो परिवहन विभाग इन हादसों को रोकने में नाकामयाब साबित होता है । क्या हादसे के बाद मृतकों के परिजनों को मुआवजे का मरहम उनके गए अपनों को लोटा सकता है ।

प्रदेश में परिवहन विभाग को शासकीय अधिकारी से लेकर कर्मचारी कमाऊ पूत मानते हैं । आम जनता यहां तक बोलती है कि परिवहन विभाग में मनचाही पोस्टिंग के लिए काफी मोती रकम भी खर्च होती है । वही जनता की जान माल की सुरक्छा इन अधिकारीयों के हवाले होती है जो हादसों के बाद नजर आते हैं । जबकि देखा जाए तो परिवहन विभाग में प्रदेश के अधिकांश ऑफिसों में सालों से अधिकारी जमे हैं जिनकी जिले से लेकर दलालों में अच्छी पकड़ बन चुकी है । सालों से एक ही जगह जमे अधिकारीयों कर्मचारियों की पहचान के चलते शासन के नियमों में ढील दे दी जाती है जिसके चलते इस तरह के हादसे सामने आते हैं । प्रदेश की जनता के सुख दुःख की चिंता करने वाले मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को विभाग के ऐसे अधिकारीयों को एक ही जगह सालो से जमे नहीं रहने देना चाहिए जिससे उनकी जान पहचान संबंधित छेत्र में ज्यादा न हो सके ।