आशीष रावत पिपरिया ब्यूरो – जिले में हाल ही में दो घटनाओं ने आर टी ओ और प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं । सुरक्छा के मानकों के विपरीत नामी स्कुलो में बच्चो के परिवहन के लिये गेस किट लगी मारुति सरपट दौड़ रही हैं । स्कूली वाहनों के फिटनेश तक नही । इन गाड़ियों से कभी भी घटना हो सकती है …
पिपरिया में कल एक हादसे ने एक परिवार की दिवाली को मातम में तब्दील कर दिया । मासूम बिटिया की दर्दनाक मौत ने शहर को झंकझोर कर रख दिया । स्कूली बच्चो की सुरक्छा पर प्रश्न चिन्ह लग गए हैं । मासूम बेटी की दर्दनाक मौत उस समय हुई जब वो अपने पिता के साथ स्कूल से घर आ रही थी । घटना के बाद से स्कूल प्रबंधन और प्रशासन पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं ।
कितने सुरक्छित हैं स्कूली बच्चे – शहर में आधा दर्जन से ज्यादा निजी नामी गिरामी स्कूल संचालित हो रहे हैं । इन स्कुलो में परिवहन के लिए बस से लेकर मारुति वेन ऑटो तक लगे हुए हैं । इन बसों में कई में स्पीड गवर्नर तक नही फिर फिटनेश में ओके हैं । ऑटो ओर मारुति वेनो में बच्चो को ठूंस ठूंस कर भरा जाता है । खास बात तो ये है कि इन ऑटो ओर मारुति वेन के चालको के पास ड्रायविंग लायसेंस तक नही । गाड़ियों का कभी फिटनेस नही होता । निजी वाहनों को कमर्शियल उपयोग में लाया जाता है । हैरत की बात तो ये है इन वाहनों में 80 प्रतिशत वाहन प्रतिबंधित गेस किट से चल रहे हैं । इसके बाबजूद प्रशासन की नाक के नीचे ऐसे वाहन सड़को पर सरपट दौड़ रहे हैं । इन वाहनों से आये दिन दुर्घटनाओ की खबरें आती है । बाबजूद इसके जिले के शिक्छा विभाग , आर टी ओ और पुलिस को ऐसे वाहन नही दिखते । स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चो के अभिभावकों का यहां तक कहना है कि 1000 रु महीना अधिकारियों को ऐसे लोग देते हैं जिससे इन्हें महीने भर का परमिट मिल जाता है । एक एक गाड़ी में छमता से अधिक बच्चो को ले जाते ऐसे वाहन शहर की सड़कों पर दिख जाते हैं । फिर भी जबाबदार अपनी आंखें बंद कर हादसों का इंतजार करते हैं ।
मेहरबानी क्यो – ऐसे अनिफिट वाहनों पर जिम्मेदारों की मेहरबानी क्यो है ये एक बड़ा सवाल है जिसका जबाब देने से अधिकारी बचते हैं । जबकि हाई कोर्ट के साफ निर्देश हैं । पर कोर्ट के नियमो को अधिकारी धत्ता बताते हुए अनिफिट वाहनों को चलने दे रहे हैं । इन जिम्मेदारों की इस लापरवाही से न जाने और कितने हादसे होंगे और कितने परिवारों के चिराग बूझेंगे ।
शहर के जनप्रतिनिधि भी मौन – शहर में दौड़ रहे इन मौत के वाहनों पर जनप्रतिनिधि मौन चुप्पी साधे हुए रहते हैं । आम जनता का कहना है कि जन प्रतिनिधियों के अगुआ बबुआ इन मौत के वाहनों को ही चला रहे हैं । कल हादसे में जिस डम्फर ने मासूम बिटिया की जान ली वो भी एक जनप्रतिनिधि का ही निकला । शहर के जनप्रतिनिधियों में से कई के रेत के डम्पर ट्रेक्टर ट्राली चल रहे हैं । ऐसे में जनप्रतिनिधि क्या बोल पाएंगे ।
मीडिया से बचते है अधिकारी – कभी कभार शहर की एक दो अनफिट गाड़ियों पर कार्यवाही कर अधिकारी मीडिया में अपनी फोटो और खबरों को लगवा कर गदगद होते हैं । पर जब इन स्कूली वाहनों की तादात देखी जाती है है तो अधिकारियों की कार्यवाही ऊंट के मुह में जीरा जैसी दिखती है । खुदा न खस्ता जब मीडिया इन स्कूली वाहनों पर सवाल उठाने लगती है तो अधिकारी कहते नजर आते है जान दो यार … । क्या जिले के गम्भीर पुलिस अधिकच्छक , बच्चो की परवाह करने वाले कलेक्टर इस ओर ध्यान देंगे … ?