पं. सुमित पचौरी ज्योतिष शास्त्री दिल्ली……श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। लेकिन कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते। इस बार भी कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं। 18 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 21 मिनट के बाद अष्टमी तिथि का आरंभ हो जाएगी, जो 19 अगस्त को रात्रि 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 19 अगस्त को रात्रि 01 बजकर 54 मिनट से होगा। शास्त्रों में इस तरह की उलझनों के लिए एक आसान सा उपाय बताया गया है कि गृहस्थों को उस दिन व्रत रखना चाहिए जिस रात को अष्टमी तिथि लग रही है। पंचांग के अनुसार, 18 अगस्त दिन गुरुवार को गृहस्थ आश्रम के लोगों को जन्माष्टमी का पर्व मनाना सही रहेगा क्योंकि 18 को मध्यरात्रि व्यापनी अष्टमी है।
मथुरा-वृंदावन में 19 को मनेगी जन्माष्टमी….
मथुरा-वृंदावन में सालों से पंरपरा रही है कि भगवान कृष्ण जन्माष्टमी के जन्मोत्सव सूर्य उदयकालिक और नवमी तिथि विद्धा जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है। गृहस्थ संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं और वैष्णव संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। जन्माष्टमी को मनाने वाले दो अलग-अलग संप्रदाय के लोग होते हैं, स्मार्त और वैष्णव। इनके विभिन्न मतों के कारण दो तिथियां बनती हैं। स्मार्त वह भक्त होते हैं जो गृहस्थ आश्रम में रहते हैं। यह अन्य देवी-देवताओं की जिस तरह पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं, उसी प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का धूमधाम से उत्सव मनाते हैं। उसी प्रकार वैष्णव जो भक्त होते हैं वे अपना संपूर्ण जीवन भगवान कृष्ण को अर्पित कर देते हैं। उन्होंने गुरु से दीक्षा भी ली होती है और गले में कंठी माला भी धारण करते हैं। जितनी भी साधु-संत और वैरागी होते हैं, वे वैष्णव धर्म में आते हैं।
जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र….
पंचाग के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र लग रहा है और सूर्य सिंह और चंद्रमा मेष राशि में रहेगा। 18 अगस्त के दिन ध्रुव और वृद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है। 18 अगस्त की रात में 8 बजकर 42 तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा, जो 19 अगस्त को रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहने वाला है। हिंदू धर्म में ये योग बेहद खास माने गए हैं। इस योग में किए गए कार्यों का परिणाम शुभ होता है।
जन्माष्टमी पर बनने वाले शुभ योग….
अभिजित मुहूर्त – 18 अगस्त को 12 बजकर 05 से लेकर दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक
वृद्धि – 10 अगस्त को 8 बजकर 56 मिनट से लेकर 18 अगस्त को शाम 8 बजकर 41 मिनट तक
धुव्र योग- 18 अगस्त को शाम 08 बजकर 41 मिनट से लेकर 19 अगस्त को शाम 08 बजकर 59 मिनट तक
जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को लगाएं इन चीजों का भोग…..
आटे की पंजीरी….
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लड्डू गोपाल को आटे की पंजीरी बहुत पसंद होती है। इसलिए धनिया और आटे दोनों की पंजीरी का भोग कान्हा जी को जरूर लगाएं।
मक्खन मिश्री….
प्रसाद में कन्हैया को मक्खन मिश्री बहुत पसंद होती है। इसलिए, कन्हैया को मक्खन मिश्री का भोग चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद को बनाने के लिए केवल सफेद मक्खन और मिश्री की जरूरत होती है।
पंचामृत का भोग….
कृष्ण भगवान को पंजीरी के साथ पंचामृत का भोग बहत प्रिय होता है। मान्यताओं के अनुसार, बिना पंचामृत के श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी रह जाती है। इसलिए इन्हें पंचामृत का भोग जरूर लगाना चाहिए । पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, चीनी से बनकर तैयार किया जाता है।
मखाने की खीर….
कान्हा जी को मखाने वाली खीर बहुत पसंद होती है। जन्माष्टमी पर कन्हैया को मखाने और मेवे वाली खीर का भोग लगाएं , ये सबसे लोकप्रिय भारतीय मिठाइयों में से एक होती है. जो कई त्योहारों पर घर पर बनाई जाती है।
मखाना पाग….
ये एक स्वादिष्ट व्यंजन है, जो पारंपरिक रूप से जन्माष्टमी के अवसर पर तैयार किया जाता है। इसमें खूब सारे मेवे डालकर उसे चाश्नी में जमाया जाता है। इस दिन इसका भी भोग अवश्य लगाएं ।
धनिया की पंजीरी….
जन्माष्टमी पर विशेष तौर पर ये पंजीरी बनाई जाती है। कान्हा को भोग लगाने के बाद इसी प्रसाद से व्रत खोला जाता है और इसे बांटा जाता है। धनिया पंजीरी पाउडर, घी, कटे हुए बादाम, किशमिश, काजू और मिश्री के साथ बनाई जाती है।
पं. सुमित पचौरी ज्योतिष शास्त्री दिल्ली