नागलोक का रहस्मयी दरवाजा नागद्वार
अंकुर अग्रवाल पचमढी / आशीष रावत पिपरिया ब्यूरो –
सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्यमयी रास्ता है जो सीधा नागलोक जाता है । नागलोक दरवाजे तक पहुंचने के लिए खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई और बारिश में घने जंगलों से जाना पड़ता है । तब जाकर आप नागद्वारी पहुंच सकते हैं । नागलोक का ये दरवाजा मौजूद है मप्र के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी के जंगलों में …
सतपुड़ा की पहाड़ियों में स्थित नागद्वार यात्रा श्रावण मास में ही होती है । यहां लाखों की संख्या में भक्त नागराज के दर्शन करने आते हैं । नागद्वारी आस्था एवं पर्यटन स्थल के तौर पर काफी प्रसिद्ध है । लोग इसके प्रति अपार आस्था भी रखते हैं । यहां की खूबसूरती को देख प्रतीत होता है जैसे प्रकृति ने अपनी सारी सुंदरता इस स्थान पर बिखेर दी हो । साल में सिर्फ कुछ दिन खुलता है नागलोक का दरवाजा …
साल में सिर्फ एक बार ही नागद्वारी की यात्रा और दर्शन का मौका मिलता है । सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के कारण यहां प्रवेश वर्जित होता है । रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन यहां जाने वाले रास्ते का गेट बंद कर देता है । सिर्फ नागपंचमी के समय पर यहां मेला भरता है । जिस दौरान ही लोग जान जोखिम में डालकर कई किलोमीटर दुर्गम पहाड़ी रास्ते से पैदल चलकर नागद्वार तक पहुंचते हैं ।
जिला प्रशासन और स्थानीय लोग करते हैं यहां की व्यवस्था ..
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से आने वाले लाखों तीर्थ यात्रियों के लिए जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों द्वारा काजली में रुकने की व्यवस्था कराई जाती है। यहां आने वाले जत्थों से कोई राशि नहीं ली जाती और स्थानीय लोग उन्हे घरों में रुकने का आमंत्रण देते है । नागद्वार यात्रा शुरू होने के पहले से ही काजली और चिंतामणि बाबा की गुफा में महाप्रसाद बांटा जाता है। यहां पर स्थानीय लोग जनभागीदारी से भंडारा करते हैं। करीब 25 किमी की यात्रा में कई स्थानों पर चाय, पानी, नाश्ते व भोजन की व्यवस्था करवाई जाती है । नागदेव की कई मूर्तियां हैं यहां मौजूद …
स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है । स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं ।नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है। यह गुफा 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को 100 साल से ज्यादा का समय हो गया । नागपंचमी पर इस नागलोक के दरवाजे कहे जाने वाले नागद्वार में लाखो की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं ।