पं. सुमित पचौरी ज्योतिष शास्त्री दिल्ली….शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हो रही हैं। वहीं इस दिन सोमवार है, जिसका संबंध मां दुर्गा से ही माना जाता है। नवरात्रि में माता के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही प्रतिपदा तिथि को पूजन करके ईशान कोण में घट स्थापित किया जाता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार इस साल मां दुर्गा हाथी की सवारी पर पृथ्वी लोक पर पधार रही हैं। आपको बता दें कि जिस दिन नवरात्रि का प्रारंभ होता है उस दिन के अनुसार माता अपने वाहन पर सवार होकर आती हैं, जो अपने भक्तों को एक विशेष संकेत भी देती हैं। आइए जानते हैं क्या है संकेत और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त…….
घट स्थापना शुभ मुहूर्त….
ज्योतिष पंचांग के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह में 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 07 बजकर 52 मिनट तक है। वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट के बीच है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार अभिजीत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है। इस मुहूर्त में हर काम सिद्ध हो जाता है।
कलश स्थापना विधि…..
वनरात्रि के पहले दिन कलश यानि घटस्थापना का प्रवधान है। कलश की स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले जिस जगह पर कलश रखना है वहां गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें। साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कई लोग कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी करते हैं।
खीर का भोग…..
कलश स्थापना के दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता को लाल रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं। मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाया जाता है वो गाय के घी और दूध से बना होता है। माता को गाय के दूध और घी से बनी चीजों का ही भोग चढ़ाया जाता है। गाय के दूध से आप माता के लिए खीर का भोग बना सकते हैं।