के के दुबे ग्वालियर ब्यूरो – ग्वालियर के फूलबाग गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार करीब 50 करोड़ रुपए के जेवरातों से हुआ । भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को इन जेवरात से सुसज्जित करने की परंपरा आजादी के पूर्व से चली आ रही है । सिंधिया राजवंश के ये प्राचीन जेवरात मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को सौंप दिए गए थे । इन बेशकीमती जेवरातों में हीरे और पन्ना जड़ित हैं । राधाकृष्ण के इस प्रकार के श्रृंगार को देखते हुए जन्माष्टमी पर नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन और पुलिस प्रशासन ने मंदिर में व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने के निर्देश दिए हैं । सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर दर्शन को आते रहे हैं । उस समय भगवान राधाकृष्ण को इन जेवरातों से सजाया जाता था । आजादी के बाद मध्यभारत की सरकार बनने के बाद गोपाल मंदिर व उससे जुड़ी संपत्ति जिला प्रशासन व निगम प्रशासन के अधीन हो गई है । नगर निगम ने इन जेवरातों को बैंक लॉकर में रखवा दिया । वर्षों तक ये लॉकरों में रखे रहे । इसके बाद साल 2007 में डॉ. पवन शर्मा ने निगमायुक्त की कमान संभाली । उन्होंने निगम की संपत्तियों की पड़ताल कराई उसमें इन जेवरातों की जानकारी मिली । उसके बाद तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर और निगमायुक्त ने गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को इन जेवरातों से श्रृंगार कराने की परंपरा शुरू कराई थी । उसके बाद से तत्कालीन आयुक्त इस परंपरा का पालन कर रहे हैं । आज जेवरातों में हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार, 249 शुद्ध मोती की माला, हीरे जडे कंगन, हीरे व सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र, 50 किलो चांदी के बर्तन, भगवान श्रीकृष्ण व राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े समेत अन्य बहुत सा सामान शामिल है ।
मंदिर की सुरक्षा 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात ….
जेवरातों की बाजार दर काफी ज्यादा होने के कारण जन्माष्टमी के दिन यहां 200 से अधिक जवान तैनात किए जाते हैं । पूरा गोपाल मंदिर पुलिस छावनी में तब्दील जाता । इस बार भी भगवान राधाकृष्ण के दर्शन करने लाखो की संख्या में श्रद्धालु मन्दिर पहुंचे ।