विजय श्रीवास्तव दमोह ब्यरो – दमोह में मां सिंहवाहनी का दरबार हर 6 माह में एक बार नवरात्रि पर लगता है । शेष दिनों में गर्भगृह बंद रहता है और मंदिर के बाहर से ही भक्त माता की पूजन अर्चना करते हैं । 170 वर्ष प्राचीन मिट्टी से बनी देवी प्रतिमा के दर्शनार्थ उमड़ रही भक्तों की भीड…
दमोह में 170 साल पुरानी मट्टी की माता रानी के शारदेय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में ही भक्तों को मातारानी के दर्शन मिलते हैं । शारदेय नवरात्र के पहले दिन विधि विधान से पूजन के साथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं । नो दिनों तक भजन संकीर्तन पूजन और हवन होता है । कन्या भोज भंडारा के साथ नवरात्र के बाद मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे । 1857 की क्रांति के पहले 1851 मे हुई थी मां की स्थापना । दमोह नगर में देश की आजादी की गवाह मिट्टी से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा आज भी उस समय की याद दिलाती है । जब यह देश आजादी के लिए जूझ रहा था । मिट्टी से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा 170 साल पहले स्थापित हुई थी जो आज भी भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती है । मां की महिमा यह है यहां आने वाले भक्त कभी निराश नहीं होते । साल में सिर्फ नवरात्रि पर्व पर माता के दरबार के पट भक्तों के लिए खोले जाते हैं । नगर के प्रसिद्ध फुटेरा तालाब के किनारे स्थित मां भारत दुर्गा देवालय में 1857 की क्रांति के पूर्व मिट्टी से बनी मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की गई थी । यह प्रतिमा आज भी मौजूद है और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर रही है । 1851 में दमोह जिले के हटा से बैलगाड़ी पर 3 दिन में प्रतिमा दमोह लाई गयी थी और उसके बाद इसे देवालय में स्थापित किया गया था । सन 1944 में गौ हत्या के विरोध में द्वारका प्रसास श्रीवास्तव द्वारा आंदोलन किया जा रहा था । तभी दशहरा पर्व पर माता की प्रतिमा नगर भ्रमण के लिए निकाली गई थी लेकिन अंग्रेजों ने आंदोलन को देखते हुए पुराना थाना में यह प्रतिमा रोक दी और 21 दिन तक यह प्रतिमा थाने में स्थापित रही तब मंदिर के पुजारी ने माता से विनती की कि आज के बाद आपको कभी भी मंदिर से बाहर नहीं लाया जाएगा तभी चमत्कारिक रूप से अंग्रेजी हुकूमत ने फरमान सुना दिया कि प्रतिमा वापिस ले जाएं और तभी से इस मंदिर से यह प्रतिमा बाहर नहीं निकाली गयी। हर साल सिर्फ दोनों नवरात्र पर्व पर ही 18 दिनों के लिए मंदिर के पट खोले जाते है । और बाकी साल भर यह दरबार बंद रहता है । साल के18 दिनों में ही मां सभी भक्तों की मुराद पूरी करती हैं । इस मंदिर में दूर-दूर से भी भक्त दर्शनार्थ हेतु आते हैं । साबुत मिट्टी से बनी यह प्रतिमा इतने सालों तक कैसे सुरक्षित है इसे चमत्कार ही माना जाएगा । इस देवालय में आने वाले भक्तों का यही कहना है कि उन्हें खुद याद नहीं कि वह कितने सालों से माता रानी के दर्शन कर रहे हैं । वहीं इस मंदिर के पुजारी नरेंद्र भारत गुरु जी का कहना है कि उनके पूर्वजों ने माता रानी की प्रतिमा स्थापित की थी । उसके बाद से लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी उनका परिवार माता रानी की सेवा में लगा हुआ है और यह क्रम को आगे भी जारी रहेगा ।