पं.सुमित पचौरी ज्योतिष शास्त्री दिल्ली….. देवी महालक्ष्मी की पूजा इस वर्ष 24 अक्टूबर को होगी। प्रदोष काल और निशिथ काल व्यापिनी अमावस्या में यह पर्व मनेगा। बरसों बाद इस बार चित्रा नक्षत्र से युक्त दीपमाला पढ़ रही है। जो समस्त राष्ट्र और समाज के लिए सुख समृद्धि लाने वाली सिद्ध होगी। दीपावली महापर्व में प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का सर्वाधिक महत्व होता है। प्रदोष काल गृहस्थियों और व्यापारियों के लिए लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष उपयुक्त माना जाता है।

दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश,कुबेर और माता सरस्वती की विशेष पूजा आराधना की जाती है। आइए जानते हैं इस दिवाली पर किस शुभ-मुहूर्त में करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा और पूजा से जुड़ी सभी जानकारियां……

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 2022….
दिवाली के दिन प्रदोष काल शाम में 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा। इस समय चर चौघड़िया रहेगा जो शाम में 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। उसके बाद रोग चौघड़िया लग जाएगा। शाम में मेष लग्न 6 बजकर 53 मिनट तक है। ऐसे में स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए स्थिर लग्न में शाम 6 बजकर 53 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट से पहले गृहस्थ जनों को देवी लक्ष्मी की पूजा आरंभ कर लेनी चाहिए।
जो लोग प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन नहीं कर पाते हैं या विशेष सिद्धि के लिए लक्ष्मी पूजन करना चाहते हैं वह दिवाली की रात में निशीथ काल में 8 बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट के बीच पूजा कर सकते हैं।

 

महानिशीथ काल में दिवाली पूजा…..
महानिशीथ काल में दिवाली की साधना साधक लोग करते हैं। तंत्र साधना के लिए यह समय अति उत्तम रहेगा। रात 10 बजकर 55 मिनट से रात 1 बजकर 31 मिनट महानिशीथ काल में तंत्रोक्त विधि से दिवाली पूजन किया जा सकता है।

 

लक्ष्मी पूजा सामग्री….
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा करते हैं, इसलिए उनसे संबंधित पूजन सामग्री लेना आवश्यक है। इस दिन श्री यंत्र, कुबेर यंत्र का पूजन लाभदायक और उन्नति प्रदान करने वाला माना जाता है।
लक्ष्मी मूर्ति, गणेश मूर्ति, कुबेर की तस्वीर, लाल वस्त्र, पीले वस्त्र, चौकी, देवी और देवताओं के लिए आसन, चढ़ाने के लिए वस्त्र, अक्षत्, हल्दी, रुई, कमलगट्टा, कमल फूल, लाल गुलाब, लाल फूल, रोली, धनिया, सिंदूर, पान का पत्ता, सुपारी, पंच पल्लव, दूर्वा, कुश, सप्तधान्य, कुमकुम, चंदन, धूप, दीप, गंध, सफेद मिठाई या खीर, बताशा, मोदक, खील, बताशे, अक्षत्, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, चांदी या सोने का सिक्का, नारियल, शंख, कौड़ी, रुई की बत्ती, दीया, इलायची, रक्षासूत्र, केले के पत्ते, कपूर, गुलाल, यज्ञोपवीत, गंगाजल, शुद्ध घी, नैवेद्य, दही, दूध, फल, शहद आदि।

 

दिवाली लक्ष्मी पूजा विधि…..
– सबसे पहले दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई दोबारा से करें। फिर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।

– शाम को पूजा मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और फिर उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं।

– चौकी पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद उसके ऊपर बाजार से खरीदकर लाई गई नई लक्ष्मी-गणेश, भगवान कुबेर और मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें।

– इसके बाद प्रतिमा के सामने कलश में जल भरकर और आम की पत्तियां लगाकर रखें।

– मां लक्ष्मी और भगवान गणेश समेत सभी देवी-देवताओं का अवाहन करते हुए सभी मूर्तियों का पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल,मौली ,जनेऊ,अक्षत,फल,हल्दी और पुष्प अर्पित करते हुए मां लक्ष्मी की स्तुति करें।

-माता लक्ष्मी की स्तुति के बाद देवी सरस्वती,मां काली,भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें।

– दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते समय घर पर मौजूद सभी सदस्यों को वहां पर एकत्रित होना चाहिए।

– महालक्ष्मी पूजन के बाद घर की तिजोरी,बहीखाते, पुस्तकों और व्यापारिक संसाधनों की पूजा करें।

-अंत में घर के हर एक हिस्से में घी और तेल का दीपक जलाकर घर को रोशन करें और प्रसाद ग्रहण करें।

 

लक्ष्मी-कुबेर पूजा मंत्र….
1. ॐ श्रीं श्रीयै नम:
2. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
3. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
4. कुबेर प्रार्थना मंत्र-धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।

 

महालक्ष्मी मंत्र…..
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।

श्री लक्ष्मी बीज मंत्र…..
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥

अर्घ्य मंत्र…..
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:।।

निवेदन मंत्र….
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस।।

प्रार्थना मंत्र…..
सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी।।

 

पं.सुमित पचौरी ज्योतिष शास्त्री दिल्ली