विकास पांडे जबलपुर ब्यूरो……ग्वालियर में इन दिनों मानसिक चिकित्सालय को लिखी एक चिट्ठी से हड़कंप मचा हुआ है, बिजली कंपनी के अफसर दिनेश कुमार जैन ने चिट्ठी में लिखा है कि उनके साथ काम करने वाले कुछ लोग मानसिक रोगी हैं……

अशोक नगर जिले के राजघाट जल विद्युत ग्रह के अधीक्षण अभियंता दिनेश कुमार जैन ने ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला मेंटल हॉस्पिटल के अधीक्षक को एक पत्र लिखा है। 19 जुलाई को लिखा गया ये पत्र ना सिर्फ सुर्खियों में बना हुआ है बल्कि इस को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है। अधीक्षण अभियंता दिनेश कुमार जैन ने पत्र में लिखा है कि उनके साथ काम करने वाले कुछ लोग मानसिक रोगी की तरह हो गए हैं। ये लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं कि वही सबसे ज्यादा ईमानदार हैं बाकी के सब भ्रष्ट हैं। इस तरह के अधिकारी कर्मचारियों के इलाज के लिए ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला में किस तरह की व्यवस्था है। क्या मानसिक आरोग्यशाला इन रोगियों के इलाज कराने के लिए वाहन भेजेगी या फिर हम खुद अपने वाहन की व्यवस्था कर इन कर्मचारियों को मेंटल हॉस्पिटल भेजें।
जैन ने मेंटल हॉस्पिटल के अधीक्षक के साथ ही यह पत्र पावर जनरेटिंग कंपनी के मुख्य अभियंता संतोष कुमार शुक्ला को भी भेजा है। वहीं जल विद्युत गृह के नोटिस बोर्ड पर भी चस्पा किया गया है। पत्र लिखने वाले डीके जैन का कहना है पिछले कुछ दिनों से अधिकारी कर्मचारी इस तरह की हरकतें कर रहे हैं। इसलिए इस तरह की कुछ घटनाएं भी हो चुकी हैं।

क्या है पत्र में….
डी के जैन की चिट्ठी कुछ इस तरह है ” कुछ कर्मचारियों का कार्य स्थल पर लंबे समय से विचित्र आचरण एवं असामान्य व्यवहार देखा जा रहा है। बातचीत से यह मनो-रोगी जैसे परिलक्षित हो रहे हैं। कुछ लोग ईमानदारी से काम कर रहे कर्मचारी अधिकारियों को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचारी बता रहे हैं। यह भ्रांति भी फैला रहे हैं कि जो काम नहीं कर रहा है वह सबसे ईमानदार व्यक्ति होता है। कुछ कर्मचारी स्वयं को मानसिक रोग अवसाद डिप्रेशन से ग्रसित होना बताकर आत्महत्या करने के लिए की शिकायत करते रहते हैं। हालांकि वे अवसाद को मानसिक रोग नहीं मानते हैं। प्लांट में बिना किसी वजह के घूमते हैं। स्वयं को डिप्रेशन से ठीक होना बताने लगते हैं।

इलाज की व्यवस्था बताएं….
डी के जैन ने आगे लिखा राजघाट जल विद्युत गृह बिजली उत्पादन का महत्वपूर्ण काम करता है। ऐसे डिप्रेशन से ग्रसित लोगों द्वारा कोई भी अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इससे प्लांट को क्षति पहुंचेगी। लिहाजा ऐसे व्यक्ति को मानसिक परीक्षण या अस्पताल में इलाज के लिए यदि भर्ती कराया जाना हो तो उसकी प्रक्रिया क्या होगी बताएं?

 

सयंत्र में चार-पांच अधिकारी और कर्मचारी काम नहीं करने का बहाना खोजते हैं। उन्हें जो कार्य दिया जा रहा है वो नहीं करते हैं, बल्कि बीमारी का बहाना बनाकर अवकाश पर चले जाते हैं। अवसाद का हवाला देते हैं और बाद में जब आते हैं तो खुद को स्वस्थ्य बता देते हैं। जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करना चाहते हैं। ऐसे कर्मी यदि अवसाद से खुद को ग्रसित मान रहे हैं तो उनकी जांच होनी चाहिए, ताकि सही उपचार किया जा सके। वे जो काम करते हैं उन्हें भ्रष्टाचारी बता रहे हैं। इस वजह से इसका परीक्षण करने के लिए अधीक्षक मानसिक आरोग्यशाला ग्वालियर को पत्र लिखा गया है।
दिनेश कुमार जैन अधीक्षण यंत्री